बिहार की राजनीति में ट्विस्ट, अब क्या करेंगे भूमिहार ?

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बिहार की राजनीति में लगातार अपडेट आ रहा है जिसमें भूमिहार जाति वर्ग खुद को मजबूती से खड़ा करने की कोशिश में है. जब से नीतीश कुमार ने इस्तीफा दिया है तब से बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है और अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि भूमिहार क्या करेंगे?

भूमिहारों की नाराजगी

दरअसल, ये नाराजगी तब से है जब भूमिहारों के कोटे की सीटें कटी जिसके बाद से तो नाराजगी और भी ज्यादा बढ़ने लगी और साल 2017 में गठबंधन से अलग होकर जब नीतीश कुमार वापस बीजेपी में आए तो भी यह वर्ग कुछ खास कुछ नहीं दिखा. अगर पिछले चुनावों की बात करें तो साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ ही साल 2015 के विधानसभा चुनाव में जाति वर्ग बीजेपी के साथ खड़ा रहा. इससे फायदा भी हुआ क्योंकि जाति वर्ग से एकमुश्त वोट भाजपा को मिले.

भूमिहारों का बिहार में दबदबा

भूमिहारों की भूमिका बिहार में काफी खास है. देखा जाए तो भले ही भूमिहार वोट कम हो लेकिन वह एक बड़े वर्ग को प्रभावित करते हैं जिधर भी वो जाते हैं उनके पीछे पीछे पूरा जाति वर्ग निकलता है लेकिन फिलहाल भूमिहारों की स्थिति सही नहीं दिख रही. बहरहाल, भूमिहार नाराज समझ आ रहे हैं.

बिहार की राजनीति

अब एक बार बिहार की राजनीति पर नजर डालें तो बिहार में राजनीतिक गलियारे गर्म है और इस बीच बीजेपी-जेडीयू के गठबंधन टूटने से राजनीति में उबाल आ गया है. बता दें कि नीतीश कुमार बीजेपी से अलग हो गए हैं और अब वह महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश कर रहे हैं.