दुनिया में चाहे कितने भी महान शासक हुए हो लेकिन हर शासक के पीछे कोई एक ऐसा इन्सान होता है जो उस शासक के दिल और दिमाग के काफी करीब होता है . लेकिन ऐसा होना हर बार अच्छा नहीं होता कभी – कभी शासक का ये करीबी हर किसी के लिए घातक और खतरनाक साबित होता है . आज हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में बताने जा रहें हैं जिसका शासक के करीब होना पूरे साम्राज्य के लिए घातक साबित हुआ .रास्पुतिन एक ऐसा इन्सान जो रूस के रोमानोव वंश के लिए काल साबित हुआ . एक समय कचरे के ऊपर घूमने वाला वो व्यक्ति देखते ही देखते कब शाही महलों के अंदर आ पहुंचा किसी को पता नहीं चला . रूस के आज तक के इतिहास में ऐसा व्यक्ति कभी नहीं हुआ . ऐसा खतरनाक और भयावह इन्सान जिसने पूरे रूस साम्राज्य की कहानी को बदल डाला . रोमानोव वंश के रूस के राजा जार निकोलस सेकेंड और उनकी बीवी अलेक्जेंड्रा के दिमाग पर रास्पुतिन इस कदर हावी था की मानो वो दोनों राजा रानी रास्पुतिन की कठपुतली हों . माना जाता था कि दोनों पर रास्पुतिन ने किसी प्रकार का जादू कर डाला था .

रास्पुतिन पहले सबसे लिए इतना आम हुआ करता था कि कोई उसपर ध्यान ही नहीं देता था . रास्पुतिन का जन्म 1869 में पैदा हुआ था . उसका जन्म एक किसान परिवार में हुआ था लेकिन किसानी उससे नहीं हो पायी तो उसने जोगी बनने का फैसला लिया . एक लड़की प्रस्कोया दुब्रोनिवा से उसने शादी की और फिर तीन बच्चों का पिता भी बन गया . मान्क यानि जोगी बनने के बाद लोग अपने परिवार को त्याग देते थे लेकिन रास्पुतिन ने ऐसा कुछ नहीं किया . इसलिए उसे मैड यानि पागल जोगी कहा जाता था . 1892 ये वो समय था जब रास्पुतिन के जीवन में बड़ा परिवर्तन आना शुरू हुआ . वह एक मानेस्ट्री में गया था जैसे ही वहां पहुंचा उसका दिमाग चलने लगा वो अपनी ही धुन में रहता था और किसी के ऑर्डर भी नहीं लिया करता . लेकिन अचानक से पता नहीं कैसे उसके द्वारा की गयी बातें सच होने लगी . इस बात ने सभी लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया था . जो लोग बीमार हुआ करते थे और जो परेशान और डरे हुए लोग हुआ करते थे वो रास्पुतिन पर अंधविश्वास करते थे .

सन 1906 में रास्पुतिन इतना ज्यादा प्रसिद्ध हो गया कि उसकी चर्चा जार निकोलस के शाही महल में होने लगी . अलेक्जेंड्रा के बेटे एलेस्की को हीमोफिलिया नाम की बीमारी थी और वो अपने बेटे के लिए काफी समय से एक अच्छा चिकित्सक ढूँढ रही थीं . एलेस्की को जो बीमारी थी उस समय उसका कोई इलाज नहीं हुआ करता था और वो सत्ता का उत्तराधिकारी भी था . लेकिन जब रास्पुतिन रानी अलेक्जेंड्रा से मिला तो उसने रानी को विश्वास दिलाया की उनके बेटे को कुछ नही होगा . वो एकदम ठीक हो जाएगा . रानी को उसकी बात पर यकिन करना ही पड़ा क्योंकि जिस तरह से उसने उन्हें यकीन दिलाया था आज तक ऐसा भरोसा उन्हें किसी ने नहीं दिलाया था . दरबार में हर कोई उसका आदि हो गया था न जाने उसने ऐसा क्या किया था कि सभी उसके मुरीद होते चले गये . उसने राजकुमार का इलाज भी कर दिया और राजकुमार बिल्कुल ठीक हो गये . लेकिन आज तक किसी को समझ नहीं आया आखिर उसने इलाज कैसे किया . अलेक्जेंड्रा उस पर धीरे – धीरे पूरी तरफ निर्भर हो गयी या यूं कहें उसके बस में हो गयी . रास्पुतिन भी शाही दरबार में शान से औरतों के साथ रहने लगा . रास्पुतिन के चरित्र के बारे में अलग – अलग किस्से फैलने लगे .

रानी अलेक्जेंड्रा और रास्पुतिन को लेकर काफी बातें फैलने लगी थी दोनों का अफेयर चल रहा था और रानी रास्पुतिन के पीछे पागल हो चुकी थीं . लोगों को समझ नहीं आ रहा था की हो क्या रहा है रूस युद्ध हार रहा है और शाही घराने के लोग अपने ही रंग में डूबे हुए हैं . ये सारी बातें सच ये झूट इसका कोई सबूत तो नहीं है लेकिन रानी के लिए गये एक पत्र के द्वारा कुछ ऐसा ही लगता है कि इन बातों में कुछ तो सच्चाई रही होगी . यह सब प्रथम विश्व युद्ध के समय की बातें हैं . जब प्रथम विश्व युद्ध चल रहा था और रूस हार रहा था तब लोगों को गुस्सा आने लगा ऊपर से लोगों को अलेक्जेंड्रा पर शक हुआ क्योंकि वो भी एक जर्मन थी . प्रथम विश्व युद्ध में जो लड़ाई हो रही थी वो बिल्कुल रास्पुतिन के हिसाब से हो रही थी जैसा वो कह रहा था . इसलिए लोगों का दिमाग और खराब होने लगा . क्योंकि एक तरह देश ये लड़ाई हार रहा था और शाही दरबार किसी जोगी के कहे पर चल रहा था .

रास्पुतिन न तो जहर से मरा न गोलियों से
राजकुमार फेलिक्स ने एक बार एक पार्टी का आयोजन किया जिसमे रास्पुतिन को बुलाया गया . रास्पुतिन को वहां केक के अंदर सायनाइड मिलाकर खिलाया गया लेकिन हैरानी की बात तो ये थी की उस पर इसका कोई असर ही नहीं हुआ .सब हैरान रह गये . जब वो नहीं मरा तो राजकुमार फेलिक्स युसुपोव को बहुत गुस्सा आया और उसने गुस्से में दो गोली उसको पेट पर मारी लेकिन वो फिर खड़ा हो गया और फेलिक्स को पकड़ लिया .फिर फेलिक्स ने दो गोलियां और मारी वो खून से लथपथ था उसको खूब मारा गया और कपड़े में बांधकर नदी में फेक दिया . लेकिन यहा सबसे हैरानी वाली बात तो ये रही जब पोस्टमॉर्टम में पता चला की उसकी मौत जहर खाने या गोली से नहीं बल्कि पानी में डूबने से हुई थी . ऐसा नहीं था कि उसपर ये हमला पहली बार हुआ था उस पर पहले भी कई हमले हो चुके हैं लेकिन उसका उससे कुछ नहीं बिगड़ता था . जब वो मर गया तो लेनिन के द्वारा कम्युनिज्म लाया गया और रूस में अक्टूबर क्रांति हुई . निकोलस के पूरे परिवार सहित उसे महल में ही खत्म कर दिया गया था .