समाज के लिए मिसाल बने किन्नर , धर्म की बहन के लिए किया वो जो सगे भी नहीं करते ….

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समाज अपनी दकियानूसी सोच को छोड़ कर अब आगे बढ़ रहा है। ऐसा कहना शायद अब सच में सही होगा। जी हाँ ! आपने आज तक किन्नर समाज को आपकी ख़ुशियों में आकर नाचते गाते देखा होगा बँधायी लेते देखा होगा । बच्चों की किलकारी की बँधायी से लेकर , नयी दुल्हन के घर में आने की बँधायी तक । लेकिन एक दिल को छूँ लेने वाला मामला समाज के सामने आया है । किन्नरों ने समाज दुनिया के सामने एक नयी मिसाल पेश की और दुनिया को बता दिया की किन्नर सिर्फ़ लेना नहीं बल्कि दिल खोल कर देना भी जानते है। फिर चाहे वो अपनी दुआ हो या आशीर्वाद ।

यह मामला है राजस्थान के उदयपुर ज़िले झाड़ोल का सोमवार को यहाँ एक शादी समारोह था। जिसमें वहाँ रहने वाले एक किन्नर परिवार की मुखिया ललिता कंवर ने अपनी धर्म की बहन बनायी थी ।उनकी धर्म की बहन का नाम कैलाशदेवी है । बता दें की कैलाशदेवी के पुत्र के विवाह में मौक़े पर ललिता कंवर उनके घर भात लेकर पहुँची और मयरा भरा। वह अपने पूरे किन्नर समाज के साथ वहा आयी और खूब बँधायी दी। यह नजारा देखने के लिए वहा लोगों की भीड़ लग गयी। ललिता कंवर ने अपने किन्नर परिवार के साथ नाच गाना कर चार चाँद लगा दिए। यह सच में दिल को छूने वाला नजारा था। क्यूँकि इससे पहले लोगों ने ऐसा कुछ देखा ही नहीं था यह समाज के लिए साथ मिलकर चलने की एक सीख है।

आपको इसके पीछे की एक कहानी बताते है ललिता कंवर पाँच साल पहले इस जगह रहने आए थे लेकिन किसी ने भी उन्हें किराए पर घर नहीं दिया। तब कैलाशदेवी के पति देवी लाल खटिक ने उन्हें किराए पर घर दिया, बिना किसी द्वेष भाव के। और साथ में रहते रहते सबके बीच परिवार जैसा रिश्ता बन गया । और कैलाशदेवी को ललिता कंवर ने अपनी धर्म की बहन बनाया । अपको जानकर हैरानी होगी की ललिता कंवर मायरे में ढाई तौले सोने के झुमके , दस तौले चाँदी की पजैब, पौने तौले सोने की अंगूठी और 11 हज़ार रुपए नक़द लाए , इतना ही नही बल्कि दूल्हे के समान से लेकर परिवार वालों तक के लिए समान लेकर आए । सच में ऐसा आज कल कहा ही देखने को मिलता है । किसी ने सच कहा है कभी कभी दिल के रिश्ते खून के रिश्तों से ज़्यादा मज़बूत होते है।