‘सेंट्रल विस्टा ‘ परियोजना यह वही परियोजना है जिस पर 2021 से लेकर बवाल मचा हुआ है । यहा तक की राहुल गाँधी ने तो इसे आपराधिक बर्बादी बोल दिया था। और साथ ही करोना के चलते इस परियोजना के काम को रोकने की भी बात कही गयी। और तो और इसकी सिफ़ारिश सुप्रीम कोर्ट तक से की गयी थीं। आपको पहले बता दें कि, इस परियोजना के अंदर नए संसद भवन और नए आवासीय परिसर का निर्माण हो रहा है । और साथ ही इसमें प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति के आवास के साथ कार्यालय भवन और मंत्रालय के कार्यलयों के लिए केंद्रीय संचिवालय बनाया जा रहा है। सितंबर 2019 में इसकी घोषणा हुई थी । और 10 दिसंबर 2020 PM मोदी में इसका उद्ध्घाटन किया किया था।
अपको बता दें कि, सेंट्रल विस्टा में अब तक 1,200 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। बल्कि केंद्रीय आवास मंत्रालय ने बोला है की 1,289 करोड़ से ज़्यादा ही लग चुका है । साथ ही मंत्रालय ने ये भी बताया है की संसद का 35% काम ख़त्म हो चुका है और ये 2022 अक्तूबर तक ख़त्म हो जाएगा । और ये 971 करोड़ में आवंटित हुआ था। आपको बता दें की सेंट्रल विस्टा को पूरा करने में कम से कम 20,000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है। और अभी बस 4 प्रॉजेक्ट पर काम चल रहा है इसके अंदर आते है । नया संसद भवन,पुनर्विकास,३ केंद्रीय सचिवालय की बिल्डिंग और उपराष्ट्रपति का निवास।
इसी के बीच कोंग्रेस सांसद ने एक सवाल भी किया कि क्या महामारी के बावजूद सेंट्रल विस्टा का कार्य शुरू किया गया था। “ जिस धन के माध्यम से विशेष रूप से महामारी के दौरान भारतीय नागरिकों की भलाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था। और अगर ऐसा है तो ब्यौरा क्या है। और इस पर सरकार की क्या प्रतिक्रिया है।?”
और मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि, “ सेंट्रल विस्टा में चल रहे कामों ने 10,000 से अधिक कुशल, अर्धकुशल, अकुशल श्रमिकों को साईट पर और बाहर प्रत्यक्ष आजीविका के अवसर प्रदान किए है। और 24.12 लाख से अधिक रोज़गार उत्पन्न किए है । इसके आगे भी इस परियोजना के मंत्री साहब ने बहुत से फ़ायदे गिनाए । और साबित करने में लग गये की उनकी इस परियोजना ने कितने की ज़िंदगी सवार दी।