जब कल दोपहर बुधवार को हर चैनल पर बिपिन रावत के हेलिकॉप्टर क्रैश होने की खबर चलने लगी , हर किसी का फ़ोन हेलिकॉप्टर क्रैश होने की न्यूज़ नोटिफ़िकेशन से भर गया और देखते ही देखते पूरे देश में सन्नाटा पसर गया । सारी जगह बस एक ही खबर थी । CDS बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन । इस खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया । CDS बिपिन रावत हमारे बीच भले ही न हो लेकिन उनकी बहादुरी के क़िस्से हमारे बीच हमेशा रहेंगे । आज एक ऐसी ही सच्ची कहानी हम आपको बताते है । जिसने सबका दिल छूँ लिया।
हुआ कुछ यूं था की बिपिन रावत को काफ़ी रात में अपने एक दोस्त से मिलने आर्मी एरिया में जाना था। बिपिन रावत अपनी आम वेशभूषा में यानि नोर्मल कपड़ों में ही अपनी वाइफ़ के साथ अपनी निजी गाड़ी में ही उनसे मिलने के लिए रवाना हो गए। उनके वहा पहुँचने पर जो हुआ वो सच में काफ़ी दिलचस्प क़िस्सा है । रचना बिष्ट रावत अपनी किताब में लिखती है -जनरल बिपिन रावत को एक बार अपने दोस्त के घर जाना था। और उनका दोस्त भी आर्मी में था। बिपिन रावत रात 11 बजे अपनी पत्नी मधुलिका के साथ अपनी निजी कार और आम वेशभूषा में रवाना हो गये । वो बिल्कुल आम आदमी बनकर वहा पहुँचे । थोड़ी देर बाद जब वो अपने दोस्त के आर्मी कैटोंनमेंट में के बाहर पहुँचते है । उन्हें एक जवान गेट पर ही रोक लेता है । बिपिन रावत उस जवान को बताते भी है की उनका दोस्त यहाँ रहता है और वो उससे मिलने के लिए आए है लेकिन जवान उन्हें गाड़ी अंदर ले जाने से बिल्कुल मना कर देता है।
थोड़ी देर बाद जवान उन्हें अपनी गाड़ी को गेट के किनारे लगाने के लिए बोलता है और पूछता है कि आप कौन हो ? इतनी रात को आर्मी एरिया में क्या कर रहे है ? इस सवाल के बाद बिपिन रावत उस जवान को अपनी पहचान बताते है की वो भारत के आर्मी चीफ़ बिपिन रावत है। लेकिन गार्ड तो उन्हें पहचानने से ही इनकार कर देता है । फिर जवान उन्हें अपने दोस्त को गेट पर बुलाने के लिए बोलता है । बिपिन रावत अपने दोस्त को फ़ोन कर बुलाते है । कुछ देर इंतज़ार करने के बाद उनका दोस्त उन्हें वहाँ लेने आ जाते है। और उनके दोस्त ने उस जवान ने सवाल किया कि क्या तुम इन्हें नहीं जानते? तुम्हारे सामने जो वो व्यक्ति मौजूद है वो भारत के थल सेना अध्यक्ष है ।
उसके बाद बिपिन रावत उस जवान की पीठ थपथपाते है और मुस्कुराते हुए बोलते है कि ये तो अपना काम कर रहा था। जो सेना के जवान का सबसे बड़ा फ़र्ज़ और कर्तव्य है ।बिपिन रावत ने अगले दिन आर्मी मुख्यालय को पत्र लिख जवान की खूब तारीफ़ की । इससे इतना तो साफ़ है की बिपिन रावत अपने साथ साथ हर सिपाही के फ़र्ज़ को उच्च दर्जा देते थे। फिर चाहे वो किसी भी पोस्ट पर हो और उनसे नीचे पोस्ट पर हो या उनसे ऊपर उनके लिए अपनी देश की सेवा में लगा एक एक सिपाही महान था।