जल, थल या आकाश कहीं से भी दुश्मन का सफाया करने का दम रखती है “ब्रह्मोस” मिसाइल आइए जाने इसकी और खूबियों के बारे में

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क्या आपको पता है इस मिसाइल का नाम ब्रह्मोस कैसे और क्यूँ रखा गया चलिए जानते हैं

दरअसल, ब्रह्मोस का नाम दो हिस्‍सों- Brah और Mos से बना है। Brah यानी ब्रह्मपुत्र नदी और Mos यानी रूस की मोस्‍कवा नदी. भारत और रूस दोनों ने मिलकर इस मिसाइल को दुनिया की सबसे ताक़तवर मिसाइलों की लिस्ट में शामिल किया है

सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ का पूरी दुनिया में डंका बजता है। जमीन, हवा, पानी या फिर समुद्र की गहराइयों से भी दुश्‍मन को निशाना बना लेती है. इस मिसाइल की ख़ासियत ही यही है कि इसे कहीं से भी लांच किया जा सकता है. तीनों सेनायें इसका इस्तेमाल कर सकती हैं. 12 जून 2001 को मिसाइल ने अपनी पहली टेस्‍ट उड़ान भरी थी। इसे डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) और रूसी एजेंसी ने मिलकर तैयार क‍िया। DRDO ने ब्रह्मोस मिसाइल को उसकी 20वीं वर्षगांठ पर बधाई भी दी है. यह दुनिया की सबसे तेज ऐंटी-शिप क्रूज मिसाइल है. इसकी अधिकतम रफ्तार 4,300 किलोमीटर प्रतिघंटा से भी ज्‍यादा है. यह मिसाइल बेहद पोर्टेबल है यानी इन्‍हें लॉन्‍च करना आसान है.

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भारतीय सेना दुनिया में चौथी सबसे ताकतवर सेना है. रक्षा मामलों की वेबसाइट ‘मिलिट्री डायरेक्ट’ के अध्ययन के मुताबिक, विश्व की सबसे ताकतवर सेना चीन की है. इसके बाद दूसरे नंबर पर अमेरिकी सेना है और तीसरी सबसे ताक़तवर रूसी सेना है.

ब्रह्मोस मिसाइल के वैरियंट्स

ब्रह्मोस मिसाइल के कई वैरियंट्स हैं. ताजा टेस्‍ट 290 किलोमीटर रेंज वाली ब्रह्मोस मिसाइल के होने हैं जो कि एक नॉन-न्‍यूक्लियर मिसाइल है. यह आवाज़ की रफ़्तार से लगभग तीन गुना अधिक रफ़्तार से उड़ती है. इसे सुखोई लड़ाकू विमान से लॉन्‍च किया जाएगा. दोनों साथ मिलकर एक घातक कॉम्‍बो बनाते हैं जिससे दुश्‍मन कांपते हैं. इस मिसाइल का एक वर्जन 450 किलोमीटर दूर तक वार कर सकता है. इसके अलावा एक और वर्जन टेस्‍ट हो रहा है जो 800 किलोमीटर की रेंज में टारगेट को हिट कर सकता है.

ब्रह्मोस-II के नाम से एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी बनाई जा रही है जिसकी रेंज करीब 290 किलोमीटर होगी. यह मिसाइल मैच 8 की रफ्तार से उड़ेगी यानी अभी की रफ्तार का लगभग दोगुना. यह दुनिया की सबसे तेज हाइपरसोनिक मिसाइल होगी.

इसके अलावा ब्रह्मोस-एनजी (नेक्‍स्‍ट जेनरेशन) जो कि वर्तमान मिसाइल का एक मिनी वर्जन है, डिवेलप की जा रही है. इसमें रडार क्रॉस सेक्‍शन भी कम होंगे जिससे दुश्‍मन के एयर डिफेंस सिस्‍टम के लिए इसका पता लगा पाना और मुश्किल हो जाएगा. इस मिसाइल को सुखोई, मिग, तेजस के अलावा राफेल व अन्‍य लड़ाकू विमानों के साथ जोड़ा जाएगा.

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पाकिस्तान इसके नाम से ही खौफ खाता है

भारत ने जब संविधान के अनुच्‍छेद 370 के तहत जम्‍मू और कश्‍मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्‍म कर दिया था तो पाकिस्‍तान ने इसका विरोध सबसे ज्यादा किया था. पाकिस्तानी सेना की ओर से कुछ नापाक हरकतों की आशंका को देखते हुए भारत ने ब्रह्मोस मिसाइलों को सीमा पर तैनात कर दिया था तो पाकिस्‍तान की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई. पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संयुक्‍त राष्‍ट्र को चिठ्ठी लिख डाली कि भारत एलओसी पर मिसाइलें तैनात कर रहा है और वह किसी ‘हरकत’ की ताक में है. इसी से अंदाजा लगाइए कि दुश्‍मन देश ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल से आखिर क्‍यों इतना घबराते हैं. छिपे हुए निशानों को तबाह करने के लिए इसे सबसे भरोसेमंद समझा जाता है.