शनिवार (9 जुलाई) को, हिंदू समुदाय से संबंधित सदस्यों ने राष्ट्रीय राजधानी में एक विरोध मार्च निकाला और एक स्पष्ट संदेश भेजा कि देश में कानून संविधान द्वारा शासित होंगे, न कि शरिया (इस्लामी कानून)। पूर्व भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा का समर्थन करने के लिए इस्लामवादियों द्वारा हिंदू दर्जी कन्हैया लाल और फार्मासिस्ट उमेश कोल्हे की हालिया हत्याओं के मद्देनजर विश्व हिंदू परिषद द्वारा हिंदू संकल्प मार्च का आयोजन किया गया था।
मार्च को सुचारू रूप से चलाने के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा बाराखंभा रोड, फिरोज शाह रोड, टॉल्स्टॉय मार्ग, जनपथ, संसद मार्ग, पटेल चौक और अन्य मार्गों तक विशेष यातायात व्यवस्था की गई थी।
मार्च मंडी हाउस से शुरू हुआ और दिल्ली के एक प्रतिष्ठित स्थान जंतर मंतर पर समाप्त हुआ। बड़े पैमाने पर लामबंदी ने संकेत दिया कि हिंदू समुदाय अब जिहादी हमलों का एक निष्क्रिय पर्यवेक्षक नहीं बनने वाला बल्कि कानून के दायरे में उनका विरोध करेगा।रैली के दौरान उपस्थित लोग देशभक्ति के गाने गा रहे थे और सड़क पर तिरंगा लहरा रहे थे। इस यात्रा में शामिल लोगों और समर्थकों ने ट्विटर पर #हिंदू_संकल्प_मार्च यात्रा के पक्ष में ट्वीट किए।
मीडिया को भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तजिंदर सिंह बग्गा ने बताया कि “पिछले कुछ दिनों में हमने देखा है कि कैसे कुछ लोगों ने भारतीय संविधान को चुनौती दी है, फतवा जारी किया और सिर काटने की धमकी दी। वे लोगों को मारने के लिए इनाम की घोषणा कर रहे हैं। यह मार्च उनके लिए एक संदेश है कि देश भारतीय कानूनों पर चलता है न कि शरिया या जिहाद पर।” बग्गा ने मीडिया से यह भी कहा कि मार्च उनके लिए एक संदेश है कि देश भारतीय कानून के तहत काम करता है, शरिया या जिहाद के तहत नहीं।
“जब-जब वो लोग इस देश को शरीयत और जिहाद के जरिए चलाने की कोशिश करेंगे, हिन्दू समुदाय के लोग सड़कों पर उतरेंगे। गैर-भाजपा शासित राज्यों में हमने पब्लिक प्रॉपर्टी को नष्ट करते, पथराव और आगजनी के हमले देखे हैं, लेकिन यहाँ आपको ऐसा कुछ नहीं देखने को मिलेगा।” बग्गा ने जोर देते हुए अपनी यह बात रखी।
उन्होंने आगे कहा, “यह उनके और हम जैसे शांतिप्रिय लोगों के बीच का अंतर है। यहाँ आपको हिंसा की बात करने वाला कोई भी व्यक्ति नहीं मिलेगा।”
“भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने मीडिया से बात करते हुए कहा “हिन्दू समाज के हर वर्ग के लाखों आज सड़कों पर उतर आए हैं। ये (रैली) लोगों की भावनाओं का परिणाम है। भारत संविधान पर चलेगा, शरिया से नहीं।
“हिन्दू जब सड़क पर उतरता है तो शांतिपूर्ण तरीके से ही उतरता है। वो पत्थरों से लैस नहीं होते। यह रैली जिहादियों, उनके बापों और उनके बच्चों को, जो जिहाद का समर्थन करते हैं, एक तरह का बड़ा मैसेज है। शरिया लागू करने वालों की हार तय है। ये मार्च हिंन्दुओं की एकता की अभिव्यक्ति है।”
कपिल मिश्रा ने कहा “ये पत्थरबाजी और कत्लेआम बंद करो। सिर तन से जुदा की धमकी देना और उसे जायज ठहराना बंद करो। इन अत्याचारों के खिलाफ आज यहाँ लाखों लोग सड़कों पर उतरे हैं।”
“यह मार्च हिंदू समाज के सभी वर्गों के बीच एकता को दर्शाता है। भाईचारे की जीत होगी और जिहादियों की हार होगी। उन्होंने कहा हम हिंदुओं के बीच विश्वास भी बढ़ा रहे हैं कि वे अपने जीवन और संपत्ति कानून की सीमा के साथ रक्षा करने में सक्षम हों।
मीडिया ने विश्व हिंदू परिषद के नेता आलोक कुमार से भी बात की। उन्होंने कहा कि हिंदू संकल्प मार्च भारत में 1400 साल पुराने शरीयत को थोपने की कोशिशों का विरोध है। ये देश संविधान से चलने वाला है ना कि शरीयत से।
ज्ञात हो कि कन्हैया लाल की रियाज अटारी और मोहम्मद गौस द्वारा हत्या कर दी गयी थी । उनके सिर काटने से 7 दिन पहले, उमेश कोल्हे नाम के एक अन्य हिंदू व्यक्ति को नूपुर शर्मा का समर्थन करने के चलते मार दिया गया था।
पूर्व भाजपा प्रवक्ता के समर्थन में बोलने के लिए टीवी अभिनेत्रियों सहित कई लोगों को जान से मारने की धमकी दी गयी। नृशंस हत्याओं के बाद के दिनों में, उपद्रवियों ने सार्वजनिक संपत्ति को जमकर नुक़सान पहुँचाया और तोड़फोड़ की, वाहनों में आग लगा दी और पूरे भारत के कई शहरों में लोगों के जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया।