महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा अब अपने अंतिम पड़ाव पर पहुँच चुका है. शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी मिलकर सरकार बनाने जा रहे है. हालाँकि इससे पहले जो कुछ भी महाराष्ट्र की राजनीति में हुआ वो वाकई बेहद चौकाने वाला था.
महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी का साथ छोड़कर शिवसेना अब अपने कट्टर विरोधी कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने जा रही है. शिवसेना को मुख्यमंत्री पद चाहिए जो बीजेपी ने देने से इंकार कर दिया. ऐसे में शिवसेना को जहाँ से मुख्यमंत्री पद मिला, उसके साथ से मिलकर सरकार बना ली.. लेकिन सवाल तो ये है कि आखिर विरोधी होने के बाद भी बीजेपी ने एनसीपी के बड़े नेता और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार पर भरोसा क्यों किया? इसके पीछे वजह क्या थी? सवाल ये भी था कि आखिर बीजेपी के चाणक्य कहे जाने अमित शाह आखिर धोखा कैसे खा गये? बीजेपी से चूक कहाँ और कैसे हुई. इन सभी सवालों के जवाब खुद बीजेपी के अध्यक्ष और देश के गृहमंत्री अमित शाह ने दिया है..

अमित शाह ने कहा कि एनसीपी ने जब पहली बार सरकार बनाने में असमर्थता जताई तो उस पत्र पर भी अजित पवार के ही हस्ताक्षर थे. अब हमारे पास जो समर्थन पत्र आया, उस पर भी अजित पवार के ही हस्ताक्षर थे. शिवसेना द्वारा मुख्यमंत्री पद की मांग किये जाने पर अमित शाह ने कहा कि हमारा शिवसेना का गठबंधन हुआ. दोनों पार्टियों को एक-दूसरे के वोट मिले. हमारे गठबंधन को बहुमत मिला. यह जनादेश सिटिंग सीएम देवेंद्र जी को मिला. कई रैलियों में हमने कहा था कि सीएम देवेंद्र जी होंगे. किसी ने कोई विरोध नहीं किया. मैं साफ करना चाहता हूं कि पहले ढाई साल छोड़ दें, सीएम पद को लेकर भी कोई आश्वासन नहीं दिया गया था. हर रैली में हमने देवेंद्र फडणवीस को सीएम कहा है. कई रैलियों में शिवसेना नेता मंच पर मौजूद थे, लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा. शिवसेना का कोई भी एमएलए ऐसा नहीं है, जिसने नरेंद्र मोदी जी का पोस्टर लगाकर वोट नहीं मांगे हैं. आदित्य ठाकरे ने भी लगाए थे.
दरअसल एनसीपी के नेता अजीत पवार ने रात में ही बीजेपी को समर्थन देकर.. सुबह सुबह ही देवेन्द्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बना ली थी.. हालाँकि इसके बाद अजीत पवार बीजेपी का साथ नही दे पाए क्योंकि एनसीपी के अधिकतर नेता अजीत पवार के सम्पर्क में नही थे.. वही इसके बाद भी बीजेपी और अजीत को कई उम्मीदें थी लेकिन सब उम्मीदों पर पानी सुप्रीम कोर्ट ने फेर दिया था. वरना गुप्त मतदान के जरिये सरकार बनाने के सपने भी अजीत पवार जरूर बीजेपी को दिखायेंगे होंगे.

खैर उपमुख्यमंत्री के पद से अजीत पवार और मुख्यमंत्री के पद देवेन्द्र फडणवीस ने इस्तीफ़ा दे दिया और अब महाराष्ट्र में सरकार शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की बनने जा रही है. हालाँकि इतिहास की घटनाओं पर नजर डाले तो यही समझ आता है कि जब भी विपरीत विचारधारा वाली पार्टियाँ आपस में मिलकर सरकार बनाती है तो ये सरकार ज्यादा दिन टिक नही पाती. हालाँकि विचारधारा कोई भी हो, पार्टी कोई भी हो, राज्य कोई भी हो खोजते सब कुर्सी और सत्ता ही है. ऐसे में शिवसेना का विपरीत विचारधारा वाली पार्टी के साथ, आतंकी हमले के आरोपी के साथ, राम का अस्तित्व मांगने वाली पार्टी के साथ सरकार बनाना कोई चौकाने वाली बात नही है..लड़िये आप विचारधारा के नाम पर, लड़िये आप सत्ता के नाम पर, आप लड़िये पार्टी के नाम पर! सत्ता तो कहीं से भी बन सकती है. यहाँ आप का मलतब सिर्फ आम आदमी ही है. ध्यान मत भटकाना हम महाराष्ट्र पर बात कर रहे थे.. दिल्ली पर नही