पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति जितनी दिलचस्प है उतनी ही केंद्र केलिए ज़रूरी भी … वैसे हमने पहले आपसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों के बारे में चर्चा की थी अब हम बाकि के लोकसभा सीटों की बात करेंगे…
आज जिन सीटों पर चर्चा होगी वो हैं – मैनपुरी ,आगरा, मथुरा, मुरादाबाद, फिरोजाबाद, इटावा, , शाजहापुर, एटा
तो सबसे पहले बात करते ही मैनपुरी के बारे में
समाजवादी पार्टी का गढ़ माने जाने वाली मैनपुरी लोकसभा सीट 2019 चुनाव के हिसाब से काफी महत्वपूर्ण सीट है….. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव चुनाव जीते थे, लेकिन उन्होंने इस सीट को छोड़ दिया था…. जिसके बाद उनके पोते तेजप्रताप सिंह यादव उपचुनाव में बड़े अंतर से जीत कर लोकसभा पहुंचे. हालांकि, मुलायम सिंह यादव इससे पहले भी कई बार यहां से सांसद रह चुके हैं…
मैनपुरी लोकसभा सीटी देश के पहले लोकसभा चुनाव से ही चर्चे में रही है… यहाँ पर 1952 से लेकर 1971 तक कांग्रेस का शासन रहा है… मतलब की लगातार 5 चुनावोन में कांग्रेस ने वहां जीत दर्ज की…
लेकिन 1984 में आखिरी बार कांग्रेस वहाँ जीत पाई … उसके बाद आअज तक उस सीट को हासिल नहीं कर पी …
आपको बता दें की 1989 और 1991 में जनता पार्टी ने वहां सरकार बनाई…. वहीँ 1992 में मुलायम सिंह यादव ने अपनी समाजवादी पार्टी बनाई और 1996 में पहली बार चुन्नाव में खड़े हुए और भारी मतों से जीते… उसके बाद वहाँ समाजवादी पार्टी का ही बोलबाला रहा.
अगर बात करें पिछले लोकसभा चुनाव 2014 की तो मैनपुरी में एक बार फिर मुलायम सिंह यादव की ही जीत हुई…
गौरतलब है कि मैनपुरी क्षेत्र में ही जसवंतनगर आता है, जो कि शिवपाल यादव का विधानसभा क्षेत्र है….. शिवपाल यादव इस बार समाजवादी पार्टी से अलग होकर अपनी नई पार्टी बना चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में उनका भी इस सीट पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है….. गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी में रहते हुए भी शिवपाल यादव की संगठन पर मजबूत पकड़ थी…
2014 के चुनाव में चली मोदी लहर का इस सीट पर कोई असर देखने को नहीं मिला था और तत्कालानी समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी. उनके सीट छोड़ने के बाद यहां हुए उपचुनाव में तेजप्रताप सिंह यादव ने भी भारी अंतर से चुनाव जीता….
तेजप्रताप सिंह यादव को यहां करीब 65 फीसदी वोट मिले, जबकि उनके सामने खड़े बीजेपी के उम्मीदवार को सिर्फ 33 फीसदी वोट मिले थे….. 2014 उपचुनाव में यहां करीब 62 फीसदी मतदान हुआ था….
अब बात करते हैं आगरा के बारे में
आगरा क्षेत्र उत्तर प्रदेश में दलितों का गढ़ माना जाता है… लोकसभा चुनाव के लिहाज से भी काफी अहम है…… 2018 में देशभर में केन्द्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ दलितों की नाराजगी खुलकर सामने आई…… SC/ST एक्ट को लेकर दलित केन्द्र सरकार से नाराज थे, जिसको लेकर देश में प्रदर्शन हुआ…… ये सीट अभी भारतीय जनता पार्टी के रामशंकर कठेरिया के पास है….. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव प्रचार भी आगरा से ही शुरू कर रहे हैं….. वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी अपने प्रचार की शुरुआत यहां से ही की…
एक समय था जब आगरा लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, लेकिन पिछले करीब दो दशकों से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी या समाजवादी पार्टी ही जीत पाती है….. 1952 से लेकर 1971 तक यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की….. लेकिन इमरजेंसी के बाद यहाँ कांग्रेस को लेकर विरोध होने लगा था और फिर कभी कांग्रेस यहाँ वापसी ना कर पाई ….
आगरा को दलित और मुस्लिम वोटरों का गढ़ माना जाता है… यहां करीबन 37 फीसदी वोटर दलित और मुस्लिम ही हैं…. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां 18 लाख से अधिक वोटर थे, जिसमें 10 लाख पुरुष और 8 लाख महिला वोटर शामिल हैं. 2014 में यहां कुल 59 फीसदी मतदान हुआ था, इनमें 5161 वोट NOTA में गए थे.
आगरा लोकसभा चुनाव को इस बार काफी अहम माना जा रहा है. बसपा अध्यक्ष मायावती ने अपने लोकसभा चुनाव अभियान की शुरुआत एटा से की…… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने मिशन उत्तर प्रदेश की शुरुआत यहां से ही कर रहे हैं…..
अब बात करते है मथुरा के बारे में ‘
भगवान कृष्ण की नगरी के रूप में पहचान रखने वाली मथुरा लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश के हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है …. राजनीतिक रूप से मथुरा का कद तब बढ़ा था जब पिछले चुनाव में ड्रीम गर्ल और बॉलीवुड अभिनेत्री हेमामालिनी ने यहां से चुनाव लड़ते हुए जोरदार जीत हासिल की थी…..
मथुरा लोकसभा सीट पहले संसदीय चुनाव से ही राजनीतिक रण होता रहा है…. पहले और दूसरे लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. लेकिन उसके बाद 1962 से 1977 तक तीन बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की. 1977 में चली सत्ता विरोधी लहर में कांग्रेस को यहां से हार का सामना करना पड़ा और भारतीय लोकदल को जीत मिली…..
2004 में कांग्रेस के लिए जीत का सूखा खत्म करते हुए मानवेंद्र सिंह ने वापसी कराई. 2009 में बीजेपी के साथ लड़ने वाले रालोद के जयंत चौधरी ने एकतरफा बड़ी जीत दर्ज की. लेकिन 2014 में चली मोदी लहर में अभिनेत्री हेमा मालिनी ने 50 फीसदी से अधिक वोट पाकर जीत दर्ज की.
मथुरा सीट पर जाट और मुस्लिम वोटरों का वर्चस्व रहा है. 2014 में भी जाट और मुस्लिम वोटरों के अलग होने का नुकसान ही रालोद को भुगतना पड़ा था. जाटों ने एकमुश्त होकर बीजेपी के हक में वोट किया. 2014 के आंकड़ों के अनुसार मथुरा लोकसभा क्षेत्र में कुल 17 लाख मतदाता हैं, इनमें 9.3 लाख पुरुष और 7 लाख से अधिक महिला वोटर हैं. मथुरा लोकसभा के तहत छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा और बलदेव विधानसभा सीट आती हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां मांट सीट पर बहुजन समाज पार्टी को जीत मिली थी, जबकि बाकी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी.
अब बात करतें है इटावा लोकसभा सीट के बारे में ….
इटावा लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित सीट है…. यह समाजवादी राजनीति का बड़ा केंद्र रहा है .. लेकिन मौजूदा समय में इस सीट पर बीजेपी का कब्जा गई …. 2014 के मोदी लहर के कारन अशोक कुमार इस सीट को हासिल करने में सफल रहे…. 1991 में इसी सीट से कशीरान जीत कर संसद पहुचें थे…… इटावा लोकसभा सीट पर अभी तक कुल 16 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से चार-चार बार सपा और कांग्रेस ने जीत हासिल की है. जबकि दो बार बीजेपी और एक-एक बार बसपा, जनता दल, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय लोकदल और सोशलिस्ट पार्टी जीत दर्ज की हैं..
2014 के लोकसभा चुनाव में इटावा संसदीय सीट पर 55.04 फीसदी मतदान हुए थे. इस सीट पर बीजेपी के अशोक कुमार दोहरे ने सपा के प्रेमदास कठेरिया को एक लाख 72 हजार 946 वोटों से मात देकर जीत हासिल की थी.
अब थोड़ी चर्चा की जाए शाहजह पुर के बरे में ….
हजहांपुर लोकसभा सीट पर इस समय भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है…… केंद्रीय मंत्री कृष्णा राज यहां से सांसद हैं, जो 2014 में बड़े अंतर से चुनाव जीत कर आई थीं….. एक समय था जब ये सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी….. लेकिन बाद में भारतीय जनता पार्टी ने भी यहां पर कई बार जीत हासिल की…… ये सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता जितेंद्र प्रसाद का गढ़ रही है…… 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी की निगाहें इस सीट पर हैं…..
शाहजहांपुर लोकसभा क्षेत्र के अंदर कुल 6 विधानसभा सीट आती हैं. इनमें कटरा, जलालाबाद, तिलहर, पुवायां, शाहजहांपुर और ददरौल शामिल हैं.
अब बात करतें है फिरोजाबाद के बारे में
उत्तर प्रदेश की फिरोजाबाद लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी की दूसरी पीढ़ी के नेता अक्षय यादव सांसद हैं……. 2014 के चुनाव में उन्होंने यहां पर बड़े अंतर से जीत दर्ज की और पहली बार लोकसभा में पहुंचे……. जाट और मुस्लिम वोटरों की सख्या अधिक है … समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन और शिवपाल यादव के सपा से अलग होने से 2019 का लोकसभा चुनाव यहां दिलचस्प हो गया है. हाल ही में शिवपाल का बयान आया था कि वह यहां से चुनाव लड़ सकते हैं.
पिछले चुनाव में यहां भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ी टक्कर हुई थी, हालांकि समाजवादी पार्टी के अक्षय यादव ने यहाँ बाजी मार ली थी….
एटा
एटा लोकसभा सीट 2019 के चुनाव से काफी वीआईपी सीट मानी जा रही है…. 2014 में हुए चुनाव में यहां से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे. एटा के पटियाली में ही मशहूर सूफी संत अमीर खुसरो का जन्म हुआ था. ऐसे में ना सिर्फ राजनीतिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी इसका महत्व बढ़ जाता है….
मुरादाबाद
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम इलाकों में से एक मुरादाबाद लोकसभा सीट राजनीतिक मायनों से काफी अहम है…. कभी कांग्रेस का गढ़ रही ये सीट कई बार समाजवादी पार्टी के कब्जे में भी आई, लेकिन 2014 में पहली बार यहां भारतीय जनता पार्टी का परचम लहराया …….और कुंवर सर्वेश कुमार यहां से सांसद चुने गए….. इस सीट से भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन भी सांसद रह चुके हैं….. मुरादाबाद पश्चिम की पीतल नगरी के नाम से भी मशहूर है.
2014 में पहली बार मुरादाबाद लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई…. उत्तर प्रदेश में बीजेपी 71 सीटें जीत कर आई थी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उसने क्लीन स्वीप किया था.

बहरहाल यहाँ की राजनीति हमेशा से दिलचस्प रही है . हमारी कोशिश थी आपको पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों के चुनावी माहौल के बारे में बताने की.. ऐसे ही आप जुड़े रहिये हम आपको बताते रहेंगे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाकि के जिलों के बारे में…