राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी
हो चुकी है. 40 दिन तक लगातार सुनवाई चल रही थी. दोनों पक्ष अपनी दलीले कोर्ट में
रख रहे थे.. हिन्दू और मुस्लिम पक्ष दोनों की कोर्ट में तकरार हुई.. जोरदार बहश
हुई लेकिन जो होना था वो हो गया.. फैसला सुरक्षित रख लिया गया है. अब इतंजार है कि
कब सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाता है लेकिन यहाँ ये जानना भी जरूरी है कि आखिरकार
वो कौन से जज है, जो सबसे ज्यादा लंबे समय तक अदालत में चलने वाले मामलों से एक
राम मंदिर विवाद पर फैसला सुनायेंगे! क्या आप जानते हैं?
राम मंदिर का मामला ना जाने कितने वकीलों,
जजों के सामने होकर गुजरा है लेकिन अब इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि ये वो
पांच जज है जो राम मंदिर मामले पर फैसला सुनायेंगे!
लिस्ट में सबसे पहले नम्बर पर हैं.. चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया.. रंजन गोगोई
3 अक्टूबर 2018 को बतौर मुख्य न्यायधीश पदभार ग्रहण किया था. 18 नवंबर, 1954 को जन्मे जस्टिस रंजन गोगोई ने 1978 में बार काउंसिल ज्वाइन की थी. उन्होंने शुरुआत गुवाहाटी हाईकोर्ट से की, 2001 में गुवाहाटी हाईकोर्ट में जज भी बने. बतौर चीफ जस्टिस अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक मामलों को सुना है, जिसमें अयोध्या केस, NRC, जम्मू-कश्मीर पर याचिकाएं शामिल हैं.
जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े (एस.ए. बोबड़े)

इस पीठ में दूसरे जज जस्टिस एस. ए. बोबड़े हैं, 1978 में उन्होंने बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र को ज्वाइन किया था. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बनने के बाद साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कमान संभाली. जस्टिस एस. ए. बोबड़े 23 अप्रैल, 2021 को रिटायर होंगे.
जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज का पदभार संभाला था. उनके पिता जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं. बतौर जज नियुक्त होने से पहले वह देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं. वह सबरीमाला, भीमा कोरेगांव, समलैंगिकता समेत कई बड़े मामलों में पीठ का हिस्सा रह चुके हैं.
जस्टिस अशोक भूषण
उत्तर प्रदेश से आने वाले जस्टिस अशोक भूषण का जन्म जौनपुर में हुआ था. वह साल 1979 में यूपी बार काउंसिल का हिस्सा बने, जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस की. 2014 में वह केरल हाईकोर्ट के जज नियुक्त हुए और 2015 में चीफ जस्टिस बने. 13 मई 2016 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कार्यभार संभाला.
जस्टिस अब्दुल नज़ीर

अयोध्या मामले की बेंच में शामिल जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने 1983 में वकालत की शुरुआत की. 17 फरवरी, 2017 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर जज कार्यभार संभाला.
तो ये वो पांच जज है मौजूदा स्थिति के अनुसार राम मंदिर मामले पर फैसला सुनायेंगे! सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इन्तजार आज पूरा देश कर रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि रिटायर होने से पहले सीजेआई रंजन गोगोई फैसला सुना देंगे.. 4 से 17 नवम्बर के बीच फैसला आने की उम्मीद जताई जा रही है. देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसके पक्ष में आता है.