सोशल मीडिया पर सैफ अली खान निशाने पर हैं. तानाजी की सफलता के बाद वो तानाजी के इतिहास पर सवाल उठा रहे हैं. जबकि सैफ खुद इस फिल्म का हिस्सा हैं. उन्होंने फिल्म क्रिटिक अनुपमा चोपड़ा के साथ एक इंटरव्यू ने ना सिर्फ तानाजी के इतिहास पर सवाल उठाये बल्कि फिल्म के बारे में उन्होंने ये भी कह दिया कि इंडिया/भारत/हिंदुस्तान की अवधारणा अंग्रेजों से पहले नहीं थी जबकि फिल्म में हिंदुस्तान की बात की जाती है. जो सही नहीं है. जो ऐतिहासिक तथ्य नहीं है.
इस इंटरव्यू के बाय्रल होने के बाद सैफ लोगों के निशाने पर हैं. सिर्फ इस इंटरव्यू में कहते हैं, ‘मेरा मानना है कि इंडिया की अवधारणा अंग्रेज़ों ने दी और शायद इससे पहले नहीं थी. इस फ़िल्म में कोई ऐतिहासिक तथ्य नहीं है. हम इसे लेकर कोई तर्क नहीं दे सकते. यह दुर्भाग्य ही है कि कलाकार उदारवादी विचार की वकालत करते हैं लेकिन वो लोकप्रियतावाद से बाज नहीं आते. यह अच्छी स्थिति नहीं है लेकिन सच्चाई यही है.”

न जाने सैफ अली खान ने किसका इतिहास पढ़ा है या फिर कौन सा इतिहास पढ़ा है. अगर अंग्रेजों से पहले भारत की अवधारणा नहीं थी तो फिर वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत में भारत शब्द कहाँ से आया. हमारे वेद-पुराणों में भारत की अवधारणा है. अगर अंग्रेजों से पहले भारत की अवधारणा नहीं थी तो फिर अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कम्पनी का नामकरण कैसे किया? लगता है सैफ ने भी वामपंथियों का वही इतिहास पढ़ा है जिसके अनुसार मुगलों के आने के बाद से ही भारत का इतिहास शुरू होता है. गुप्त काल, मौर्य काल के इतिहास को ये इतिहास मानते ही नहीं. इनके एजेंडे में जो फिर बैठा वही इतिहास इन्हें पसंद है.
“There was no concept of India till British came”
When your student gives a duffer answer but teacher gives full marks. No wonder this stupid Film Critic refused to review #TheTashkentFiles and now is unhappy with the success of @ajaydevgn’s #Tanhaji pic.twitter.com/QmoYh2lQfK
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) January 19, 2020