आजादी से अब तक कितनी बदली है भारत की तस्वीर

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आज भारत को आज़ाद हुए 74 साल हो चुके हैं. और हमने आज़ादी से अब तक कितनी तरक्की की है आइये जानते हैं

आजादी से लेकर अब तक भारत ने विकास यात्रा संघर्ष और रफ्तार से की है. साढ़े सात दशकों में भारत ने कुछ चुनौतियों का अद्भुत तरीके से सामना करके विश्व में अपनी प्रचीन प्रतीष्ठा वापस कायम की है. आज भारत की बात दुनिया गौर से सुनने को मजबूत हुई है तो कई ऐसे क्षेत्र भी हैं, जो विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ी बाधा बने हुए हैं. जैसे – गरीबी , प्रति व्यक्ति आय ,हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर, बढ़ती जनसंख्या

विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश (जनसंख्या में ) और विश्व में सबसे समृद्ध देश भारत, कई वर्षों तक गुलामी में रहा. मगर इस गुलामी से पहले ये देश, विश्व के संभ्रांत देशों की सूची में शामिल था. यहां तक कि भारत को एक समय ‘सोने की चिड़िया’ भी कहा जाता था. आर्थिक पैमाने पर भी भारतीय अर्थव्यवस्था उन सभी देशों के लिए आदर्श थी जिनमें से कुछ आज भारत से आगे भी निकल चुके हैं. कभी शुन्य से शुरू हुआ इंडियन इकॉनोमी का सफर आज दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. तिनके से शुरू हुए इस सफर में समय तो लगा, पर परिणाम शानदार मिले. आज यही भारत आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ा रहा है जो कभी गरीब देशों की श्रेणी में भी गिना जाता था.

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अर्थव्यवस्था

आज स्टार्टअप से लेकर आर्थिक गतिविधियों में संपन्न भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता है. World Population Review की रिपोर्ट के दम पर यह बात सामने आई है कि भारत,  विश्व की टाॅप 5 प्रगतिशील अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है. भारत एक लंबी दूरी तय करके आज उस स्थान पर है जहां से हासिल उपलब्धियों को देखा जा सकता है. फिर वो छोटी हो या बड़ी भारत में तो बिज़ली तक का प्रसार एक उपलब्धि थी. क्योंकि यहां आज़ादी के बाद भी नागरिक बुनियादी चीज़ों से वंचित रहा था. हालांकि Covid-19 महामारी के कारण ऐसा लगा था कि अर्थव्यवस्था का विकास रथ शायद रुक जाए. मगर GDP के वित्तीय वर्ष 2021-2022 की पहली तिमाही के ताज़ा आंकड़ों के आधार पर ये गलत साबित हो गया. जब GOI की ओर से जारी आंकड़ों में भारत की वर्तमान ग्रोथ रेट 20.1% बताई गई.

विकास के क्षेत्र

भारत हमेशा से कृषि प्रधान देश रहा है. हरित क्रांति से लेकर ऋण प्रदान करने तक की सुविधा के कारण इस क्षेत्र में अब पहले से ज़्यादा संभावनाएं नज़र आती हैं. आज़ादी के समय की 33 करोड़ की जनसंख्या आज 139 करोड़ में परिवर्तित हो चुकी है. जो की एक नेगेटिव पॉइंट है. वहीं जीवन प्रत्याशा की दर अब 41 वर्ष से बढ़कर 68.35 वर्ष हो चुकी है. जो अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण और साकारात्मक है. खाद्य पदार्थों में आत्मनिर्भरता भारत की बड़ी उपलब्धियों में से एक है. आपको बता दें कि साल 1950 में भारत की खाद्य उत्पादन क्षमता 54.92 मिलियन टन थी जो अब वर्ष 2021 में 305.44 मिलियन टन से ज़्यादा हो चुकी है. आज़ादी के समय भारत की GDP 2.7 लाख करोड़ रुपए थी जो अब करीब 66 गुना बढ़कर 135.13 लाख करोड़ रुपए है. ऐसा माना जा रहा है कि वर्ष 2031 तक भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल कर लेगा.

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भारत का स्पेस में भी अपना अलग ही रुतबा है. भारतीय स्पेस एजेंसी ने भी फर्श से सफर शुरू किया और अर्श तक को छुआ.

भारतीय रेल ऐसे तो आज़ादी के पहले भी कामयाब थी पर आज़ादी के बाद इसमें शानदार परिवर्तन आए. आज़ादी से लेकर अबतक रेलवे लगभग 14,000 किलोमीटर से ज़्यादा रेल की पटरी का विस्तार कर चुका है. इसके अलावा बात राज्यों की करें तो आज़ादी के समय राज्यों की संख्या 17 थी जो आज 29 है. इन राज्यों से आने वाला धन और सेवा अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में मदद करता है. वर्ष 1950 में 0.4 मिलियन किलोमीटर सड़क का सफर आज 6.4 मिलियन किलोमीटर तक आगे बढ़ चुका है. विकास की यह 16 गुनी तेज़ रफ़्तार अर्थव्यवस्था के लिहाज़ से बहुत अच्छी है. वर्ष 1947 की बात करें तो 10 ग्राम सोने का दाम तब 88.65 रुपए होता था. जो आज 48,280 रुपए है. कीमत में आई इन उछालों का असर, विदेशी मुद्रा भंडारण पर देखने को मिलता है.

Deepak Sharma
Deepak Sharma
Sports Editor - The Chaupal Email - deepak@thechaupal.com

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