वालमार्ट, फ्लिप्कार्ट और अमेजन जैसी ई कामर्स कंपनियों में हलचल मची हुई है. जिसका कारण है सरकार द्वारा एक फ़रवरी से लागू किये गये FDI के नए नियम..हमने अपने पिछले वीडियो में आपको बताया था कि कैसे ई कामर्स कम्पनियाँ देश के कारोबारियों से किस तरह धोखा देती हैं? हालाँकि कुछ लोगों का कहना है कि इसके पीछे की पूरी रणनीति अम्बानी को फायादा दिलाने के लिए तैयार की जा रही हैं. ऐसे कहने वालों में देश के बड़े पत्रकार रवीश कुमार उर्फ़ रवीश पाण्डेय भी शामिल हैं. इस पर उन्होंने के बड़ा सा पोस्ट लिखा है….
आइये हम आपको उनके द्वारा लिखे गये लेख का विश्लेषण करते हैं. रवीश कुमार लिखते हैं कि भारत के सालाना 42 लाख करोड़ से अधिक के खुदरा बाज़ार में घमासान का नया दौर आया है. इस व्यापार से जुड़े सात करोड़ व्यापारी अस्थिर हो गए हैं.
……. ना खाता ना बही, जो रवीश कुमार कहें वही सही… कोई डेटा नही, कोई फैक्ट नही , रवीश कुमार दिखा रहे हैं सात करोड़ लोगों का व्यापार थप होने की कगार पर है. जबकि हमने पिछली रिपोर्ट में दिखाया था कि ये नियम खुदरा व्यापारियों के लिए बनाये गये हैं.

अब रवीश जी आगे कहते हैं कि मुकेश अंबानी ने ई-कामर्स प्लेटफार्म बनाने के एलान ने खलबली मचा दी है। उन्होंने यह घोषणा वाइब्रेंट गुजरात में की थी। मुकेश अंबानी का नाम सुनकर ही रिटेल सेक्टर सहमा हुआ है। रिटेल सेक्टर को पता है कि रिलायंस जियो के आगमन के बाद टेलिकाम सेक्टर का क्या हाल हुआ था..
अब यहाँ आपको सोचना होगा कि क्या जिओ के आने से आपका फायदा हुआ या नुकसान? जितने पैसे आप एक महीने के लिए सिर्फ एक सिर्फ जीबी डेता उपयोग कर पाते थे..उतने ही पैसों में आज आप तीन महीने तक डेटा उपयोग कर पाते है साथ में फ्री काल! तो यहाँ पर रवीश कुमार जी के इस तर्क को आपको समझना होगा..
अब आगे बढ़ते हैं….रवीश कुमार जी लिखते हैं कि बदलाव खुदरा व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के नाम पर किया गया लेकिन इसका लाभ प्रचुर संसाधनों से लैस मुकेश अंबानी को मिलता हुआ बताया जा रहा है………..
बताया जा रहा है….रवीश जी ने सरकार के इस फैसले का विशलेषण तो कर ही लिया और इसी के साथ फैसला भी सुना दिया..लेकिन किस आधार पर…आधार हैं कि बताया जा रहा है..कौन बता रहा है कुछ पता नही है..कैसे बता रहा है कुछ पता नही..बस बताया जा रहा है…बताया जा रहा है के आधार पर रवीश बाबू ने कह दिया कि ये अम्बानी को फायदा पहुँचाने के लिए ही किया जा रहा है….आजकल ट्रेंड चल रहा है कोई भी फैसला लिया जाता है तो मीडिया के एक धड़े के ये लोग उसे अम्बानी से जोड़ देते हैं.
रवीश कुमार आगे लिखते हैं कि खबर थी सरकार की इस नीति से नाराज होकर और अंबानी के निवेश से डरकर वालमार्ट फ्लिप्कार्ट से अलग हो रहा हैं..लेकिन बाद में खबर आई कि आज के बिजनेस स्टैंडर्ड में फ्लिपकार्ट के सीईओ का बयान छपा है कि वॉलमार्ट कहीं नहीं जाने वाला है। हम मैदान नहीं छोड़ेंगे.
तो रवीश पाण्डेय भैया..अगर वे डरकर जा रहे थे तो वे फिर रूक क्यों गये? क्या सरकार के विरोधियों का साथ मिल गया क्या उन्हें? अगर ये कम्पनियां इमानदारी से काम कर रही थी तो नियमों के बदलाव से भागने की नौबत क्यों आन पड़ी और रुक गये तो उन्होंने इन नियमों को पालन करने का भी निर्णय जरुर लिया होगा…
रवीश कुमार जी अब जो आगे कहते हैं उसे सुनकर तो आप भी हैरान हो जायेंगे! वे कहते हैं कि अमरीकी कंपनियां काफी दबदबे के साथ कारोबार करती हैं। क्या वे भारत में दबाव में आकर कारोबार करेंगी या फिर राष्ट्रपति ट्रंप अपनी कंपनियों के लिए दबाव डालने लगेंगे।…..
.. ठीक हैं भाई लेकिन कम से कम अब आप ये तो मानते हैं कि भारत सरकार ने ऐसे फैसले लिए हैं, या भारत की ऐसी छवि बन रही है कि अमेरिकी कम्पनियों को भी घटिया हरकत करने से पहले सोचना पड़ रहा है, और भारत में दबदबे के साथ नही, भारत सरकार के नीतियों के अनुसार ही उन्हें चलना पड़ेगा…ये तो आप भी मान रहे है ना ………
अब अगले पैराग्राफ में रवीश जी आपको एक न्यूज बता रहे हैं कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने 24 जनवरी को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। इस पत्र में लिखा है कि ई-कार्मस की नीति विदेशी और घरेलु प्लेटफार्म पर समान रूप से लागू हों ताकि कोई भी अनैतिक तरीके अपनाकर बाज़ार से बाकी कारोबारियों को बाहर न कर दें। सभी ई-कामर्स कंपनियों से जरुरी कर दिया जाए कि वे हर साल कंप्लायंस सर्टिफिकेट लें। और विवादों के निपटारे के लिए एक नियामक संस्था बनाई जाए….

ये उन्होंने एक खबर बतायी लेकिन इसके तुरंत बाद ही वे अपना OPINION रखा….अगर आप थोड़ी सी सावधानी नही बरतेंगे तो उनका ओपिनियन भी आपको न्यूज ही लगेगा….अपना विचार रखते हुए कहते हैं कि ऐसे नियम भी बहुत जल्द ही व्यापारियों के हाथ में चले जाते हैं… उनके लेख के मुताबिक़ तो यह पता चलता है कि वे कहना चाह रहे हैं कि सरकार कोई भी नियम बनाये कम्पनियां तो अपने नियम के हिसाब से ही चलेंगी उनके पास अपना नियम और क़ानून होता है…जिसके हिसाब से वे काम करती हैं… रवीश कुमार जी तो क्या सरकार नियम बनाना ही बंद कर दे… सरकार ने लागू कर दिया तो आप कमियां गिना रहे हैं और ना लागू करे तो आप कहते हैं सरकार व्यापारी विरोधी हैं… आपका तो कोई स्टैंड ही नही होता…आपकी बयार किस दिशा में जायेंगी आपको ही नही पता होता…
रवीश कुमार आगे कहते हैं कि कोई भी व्यापारी वालमार्ट के खिलाफ आनोद्लन कर सकता है, कोई भी उसके खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगा सकता है लेकिन किया कोई अम्बानी के खिलाफ ये सब करने की हिम्मत कर पायेगा. क्या कोई मीडिया इसको कबर कर सकेगा…जियों को कोई नही रोक पाया…अब अम्बानी को कोई इ कोमर्स में नही रोक पायेगा…
अरे रवीश भाई..आप अपने ऊपर तो भरोसा रखिये..आप तो कवर कर ही सकेंगे…लेकिन क्या जियों के आने देश की जनता का कोई नुकसान हुआ…और किसी ने जियों का प्रोडक्ट्स यूज़ करने के लिए लोगों पर दबाव बनाया था…क्या लोगों को जियों के खिलाफ आन्दोलन करने की जरुरत पड़ी?
रवीश कुमार को एक भारतीय कम्पनी से इतना डर क्यों हैं वहीँ वालमार्ट जैसी विदशी कम्पनी पर इतनी सहानुभूति क्यों है..
यहाँ रवीश कुमार लोगों के अंदर डर भरने की कोशिश कर रहे हैं कि अम्बानी अगर ई कॉमर्स में आ गये तो बाकी सब कम्पनियाँ खत्म हो जाएँगी! जबकि सरकार द्वारा लागू किये गये नियम में साफ़ साफ़ कहा गया है कि कोई भी ई कॉमर्स कम्पनी अपने किसी भी सहयोगी कम्पनी के प्रोडक्ट्स को नही बेच सकती हैं…इसका मतलब भी लोगों को समझाइये रवीश साहब…कि ई कामर्स के लिए जो नए नियम सरकार ने लागू किया हैं वो किसी एक लिए बल्कि सबके लिए समान है. चाहे ओ अम्बानी हो या फिर फ्लिप्कार्ट या वालमार्ट ….

इसके आगे रवीश कुमार जी लिखते हैं कि बिग बाजार और अमेरिकन फास्ट फूड चेन्स या चाइनीज़ कपड़े एसीसरीज़ या सुपर मार्केट खुलने से व्यापारी खत्म हो गये हैं… रवीश कुमार जी समय के साथ साथ सबकुछ बदलता हैं हमेशा..जल जंगल और जमीन की लड़ाई से बाहर आइये हैं और समय के साथ चलना सीखिए और सिखाइए. समय के साथ चलकर ही आप पत्र से साधे मोबाइल,फिर कैमरा वाले फिर एंड्राइड मोबाइल तक पहुंचे हैं.. आप भी फ़ोन चलाना बंद कर दीजिये उसके आने से घड़ी जैसी कई चीजे बंद हो गयी…
आगे रवीश कुमार जी का कहना है कि देश में राजनीतिक पार्टियां कारोबारी विरोधी बन जाती हैं और मीडिया भी उनके खिलाफ चला जाता है लेकिन रवीश कुमार जी ये नही समझा रहे हैं कि …कैसे और क्यों ? एक लाइन में ये लिख देना कि व्यापारियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाता है…बिना किसी सबूत के….बहुत आसान होता है.. वैसे हमने कई बार देखा कि रवीश कुमार समय समय पर कभी रक्षा विशेषज्ञ बन जाते हैं तो कभी अर्थशास्त्री… ..
आगे रवीश कुमार कहते हैं कि भारत के व्यापारियों को राजनेताओं से सावधान रहना चाहिए… वे कहीं ना कहीं मुकेश अम्बानी को लेकर उनके अंदर डर भरने की भरपूर कोशिश करते नजर आये… हालाँकि पूरा पोस्ट पढने के बाद हमें समझ में भी यही आया कि ये भारत के व्यापारियों के लिए चिंता कम और अम्बानी का विरोध अधिक है. रवीश कुमार की पूरे पोस्ट में कभी अम्बानी को घेर रहे हैं तो राजनीतिक पार्टियों को लेकिन उन ई कामर्स कम्पनियों के खिलाफ कुछ भी नही बोले जो सालो से देश के कारोबारियों को खत्म करने का काम कर रही थी.
रवीश कुमार जी आप वाकई बहुत अच्छा लिखते हैं, आप हजारों युवाओं के आइडियल हैं. मीडिया फिल्ड में आने वाला हर छात्र आपसे कुछ ना कुछ सीखना चाहता है… ऐसे में कम से कम आप अपना प्रोपगेंडा फ़ैलाने के चलते लोगों को गुमराह मत कीजिये जो आपसे एक अच्छी पत्रकारिता की उम्मीद करते हैं.
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