गांधी परिवार कभी भी कही जाता है अगर वो किसी बात से सबसे ज़्यादा परेशान रहता है वो है मोदी के नारों से। कभी कॉलेज के स्टूडेंट्स राहुल गांधी के सामने मोदी मोदी का नारा लगाते हैं , तो कभी किसी रैली में प्रियंका गांधी के सामने मोदी मोदी के नारे लगते हैं। अब हालिया मामला है फिर से एक बार प्रियंका गांधी का, प्रियंका गांधी वाड्रा सोमवार को मध्य प्रदेश के दौरे पर थीं. इस दौरान वह उज्जैन में महाकाल के दर्शन करने के बाद रतलाम और इंदौर में रोड शो भी किया. प्रियंका जब सड़क मार्ग से गुजर रही थीं तभी कुछ लोग मोदी मोदी के नारे लगाने लगे। लोगों को मोदी-मोदी के नारे लगाते देख, प्रियंका गांधी ने काफिला रुकवाया और वह कार से उतरकर सीधे नारे लगाने वाले लोगों के बीच पहुंच गईं.प्रियंका और उनके सुरक्षाकर्मियों को आता देख ये लोग चुप हो गए लेकिन जब प्रियंका प्यार से मिलीं और चुनाव के लिए शुभकामनाएं दीं तो इन लोगों ने भी उन्हें दीदी कहकर पुकारा और ऑल द बेस्ट कहा। इन लोगों से हाथ मिलते हुए प्रियंका गाड़ी में बैठकर चली गईं।

ये कितनी अच्छी बात है ना , कितनी अच्छी नेता है प्रियंका गांधी। लोगों ने मोदी मोदी के नारे लगाए और प्रियंका गांधी ने कुछ बोला तक नहीं उन्हें। ऐसा नेता कहा मिलता है आजकल जो बलकुल ग़ुस्सा ना हो। चलिए अब पीछे चले, अरे ज़्यादा पीछे नहीं बस 1,2 दिन पीछे एक ओर ख़बर आपको बताती हु। हुआ ये है कि भदोही जनपद की कांग्रेस जिलाध्यक्ष समेत कई पदाधिकारियों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. भदोही कांग्रेस की अध्यक्ष नीलम मिश्रा ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के व्यवहार पर सवाल उठाए और अपनी नाराजगी जाहिर की. नीमल मिश्रा का कहना है कि ‘’शनिवार को उन्होंने क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ प्रियंका से शिकायत की, लेकिन उन्होंने बात सुनने की बजाए, उनके खिलाफ कठोर शब्दों का इस्तेमाल किया.’’

यहाँ अब क्या बोला जाए, की प्रियंका गांधी यहाँ दो तरह के काम कर रही है। मतलब जहाँ वो अपने पार्टी के नेताओ के लिए कढोर शब्द का प्रयोग करती है, जिससे उनके ही पार्टी के लोग नाराज़ है। वही दूसरी ओर आम लोगों के लिए इतना प्यार की मोदी के नारे सुनने के बाद भी उनसे प्यार से बात कर के मुस्कुरा रही हैं। गैरो पे रहम अपनो पे सितम ये कौन सी नही स्ट्रेटजी है ये तो वही जानें… लेकिन हमे तो यही लगता है, प्रियंका गांधी का राजनैतिक सफर इतना आसान नही होने वाला। भले ही उनको लेकर कांग्रेस कितनी भी ब्रांडिंग पैकेजिंग कर ले। लेकिन पब्लिक इंटरेक्शन हो या पार्टी के अंदर उनके काम करने का तरीका। एक नेचुरल नेता का गुण उनमे नही दिखता है। बाकी देखते है आने वाले टाइम में प्रियंका राजनीति में कहां तक जाती है…