बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में एक कर्मकांड पढ़ाने के लिए नियुक्त किये गये शिक्षक फिरोज खान को लेकर बवाल मचा है. छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं और लोग उन्हें भला बुरा कहकर सक्युलरिज्म की नई परिभाषा खड़ी करने की बात कर रहे हैं. फिरोज खान की नियुक्ति ‘धर्म विज्ञान संकाय’ में कर्मकांड पढ़ाने के लिए की गयी. जिसे लोग संस्कृत भाषा का शिक्षक का समझकर उनका विरोध कर रहे छात्रों को ही भला-बुरा कह रहे हैं.. कई लिबरल और एक्स्ट्रा सेक्युलर लोग कह रहे है कि बीएचयू में एक संस्कृत शिक्षक का विरोध हो रहा है जबकि ऐसा नही है! इस विभाग में यज्ञ और ज्योतिष जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं. छात्रों का आरोप है कि वीसी मनमानी कर रहे है. ये तो रही बीएचयू की बात… जहाँ यज्ञ और ज्योतिष पढ़ाने के लिए नियुक्त किये गये फिरोज खान का जमकर विरोध हो रहा है..उम्मीद है कि आप उस घटना को अब समझ गये होगे जिसे सिर्फ संस्कृत का शिक्षक का विरोध बताया जा रहा था.. अब आते है अगली बात पर..
यहाँ आपको बात दें कि देश के जाने माने पत्रकार प्रभु चावला ने एक अखबार की कटींग शेयर की.. इस कटिंग में आप साफ़ तौर पर देख सकते है कि किस तरह एक ईसाई स्कूल में प्रिंसिपल की नौकरी के लिए खुलेआम विज्ञापन दिया जा रहा है कि अगर आवेदक ईसाई है और आवेदक के पास पादरी का ‘अनुशंसा पत्र’ है और उसके पास ‘बैप्टिज्म सर्टिफिकेट’ भी होना चाहिए. यानी पादरी की अनुशंसा और आपका ईसाई होना, ये दोनों ही ज़रूरी है.तभी आप अप्लाई कर सकते है. इसके लिए बाकायदा सार्वजनिक विज्ञापन दिया गया.. सब खुल्लम खुल्ला किया जा रहा है. मुझे पूरी तरह से याद कि किसी भी सेक्युलरिज्म का ठेकेदार इस पर एक शब्द नही बोला.. ये नियुक्ति किसी धर्म विज्ञान या ज्योतिष पढ़ने के लिए नही की जा रही थी.. ये नियुक्ति प्रधानाध्यापक के लिए की जा जानी थी. बीएचयू के मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने वालें एक्स्ट्रा सेक्युलर लोगों ने एक शब्द नही बोला..
इसके बाद प्रभू चावला ने सवाल करते हुए पूछा कि क्यों न हिन्दुओं द्वारा संचालित शिक्षण संस्थान अपने यहाँ विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए शर्त रख दें कि केवल हिन्दू ही आवेदन करने के योग्य होंगे? क्या तुमलोगों के पास इसका जवाब है कि हिन्दुओं को ऐसा करने का अधिकार क्यों नहीं है? इसके बाद तो प्रभु चावला को लोग संघी कहने लगे.. सरकार की गुलामी करने वाला बताने लगे.. बता सकते है कहने तो कुछ भी कह सकते है.. आजादी है.. अधिकार है कहने का.. कहने को तो आजादी भी मांगी जाती है हमारे देश में ! हालाँकि बहुत से लोगों ने पत्रकार प्रभु चावला का समर्थन भी किया है.
An ad for the post of Principal for Jesus&Mary college. Only candidates from a specific faith are eligible? Did College get subsidised land in Chanakya Puri? Why can’t Institutions run by Hindus and others follow the same ? Do liberals hold any opinion ? pic.twitter.com/HiOP8XDWOP
— PrabhuChawla (@PrabhuChawla) November 20, 2019
हालाँकि सवाल यही है कि एक स्कूल अपने यहाँ प्रधानाध्यापक की नियुक्ति के लिए भी पादरी से लिखित आज्ञा और ईसाई धर्मं का होना अनिवार्य करता है जहाँ धर्म का कोई लेना देना नही है. इस पर किसी के मुंह से एक शब्द नही निकला.. कि आखिर यहाँ जातिवाद, या धर्मवाद क्यों किया जा रहा है. हालाँकि बीएचयू के मुद्दे पर लोग ज्ञान बघारने से भी पीछे नही रह रहे है. जबकि बात सिर्फ संस्कृत के लिए नही हो रही है बल्कि ज्योतिष और यज्ञ के ज्ञान की बात को लेकर छात्रों का प्रदर्शन है. हालाँकि प्रदर्शन चल रहा है.. जेएनयू वाले फीस की बढ़ोत्तरी को लेकर प्रदर्शन कर रहे है और बीएचयू वाले शिक्षक को लेकर.. अब ऐसा लगता है कि जैसे संसद मांग सिर्फ प्रदर्शन के लिए ही बना है..कुछ यूनिवर्सिटी सिर्फ प्रदर्शन को लेकर चर्चा में बने रहने के लिए!