“India is a secular country” यह तो आपने कई बार सुना होगा…. मतलब की धर्म निरपेक्ष…. मतलब की सबको अपने हिसाब से धर्म चुनने का अधिकार है…
हमारे देश में नारी को हमेशा से ऊचा दर्ज़ा दिया गया है… और शायद सभी धर्म में भी इनका दर्ज़ा ऊचा ही है … चाहे मदर मेरी को देख लें हम, चाहे आयशा या फिर माँ दुर्गा को ही देख लें ….
खैर आज बात धर्म पर होगी लेकिन आध्यात्मिक नहीं …
तो चलिए आज उस मुद्दे पर बात करते है जो पिछले दो दिनों से काफी चर्चे में है… हमारे समाज में अगर लीक से हट कर कोई काम करे तो उनको एक्सेप्ट करना काफी मुश्किल होता है और सपोर्ट तो बहुत दूर की बात है ….
दरअसल बात कुछ ऐसी है कि पुणे के एक मुस्लिम जोड़े ने 15 अप्रैल 2019 को मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है कि वह सरकार को निर्देश दे कि मुस्लिम महिलाओं को मस्जिदों में प्रवेश करने और नमाज अदा करने की इजाजत मिले…. याचिका में मुस्लिम दंपति ने केंद्र सरकार, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, केंद्रीय वक्फ परिषद, महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को पार्टी बनाया गया है…. उन्होंने मक्का के उदाहरण का हवाला दिया, जहां पुरुष और महिलाएं दोनों ही काबा की परिक्रमा करती हैं….
Indian Muslims offer Eid al-Adha prayers at the Jama Masjid mosque in New Delhi on August 22, 2018. – Muslims are celebrating Eid al-Adha (the feast of sacrifice), the second of two Islamic holidays celebrated worldwide marking the end of the annual pilgrimage or Hajj to the Saudi holy city of Mecca. (Photo by CHANDAN KHANNA / AFP) (Photo credit should read CHANDAN KHANNA/AFP/Getty Images)
मुस्लिम दंपति ने मांग की है कि मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश करने पर रोक लगाने वाले सभी फतवे को रद्द कर दिया जाना चाहिए……महिलाओं के प्रवेश को मस्जिद में प्रतिबंधित करने से रोकने की परंपरा को बंद करना चाहिए और इसे गैर संवैधानिक घोषित करना चाहिए….. इसके साथ ही इसे गैर-भेदभाव के अधिकार, समानता के अधिकार, सम्मान के साथ मानव के जीने का अधिकार, और धर्म के अधिकार का उल्लंघन घोषित करना चाहिए….
उन्होंने यह इंगित करते हुए कहा कि कुरान या हदीस में लिंग विभाजन का कोई उल्लेख नहीं है….दंपति ने कहा कि इस तरह की प्रथाएं महिलाओं की बुनियादी गरिमा के प्रति अपमानजनक थीं और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती थीं…..
उन्होंने कहा कि ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है, जिसमें कहा गया हो कि कुरान और पैगंबर मुहम्मद ने महिलाओं को मस्जिदों में प्रवेश करने और नमाज अदा करने का विरोध किया हो…. वास्तव में पुरुषों और महिलाओं को उनकी मान्यताओं के अनुसार पूजा करने के लिए समान संवैधानिक अधिकार हैं…..
हालांकि कुछ मस्जिदों में महिलाओं को प्रवेश का अधिकार है… वहाँ इनके लिए अलग से entry गेट है… और
नमाज के लिए दीवार बनाए गए हैं…. याचिका में यह लिखा है कि जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए……मुस्लिम महिलाओं को सभी मस्जिदों में प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए….
आपको बता दें कि इस याचिका में कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25 और 29 के उल्लंघन के लिए भारत में मस्जिद में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश को प्रतिबंधित करने की प्रथाओं को अवैध, असंवैधानिक घोषित किया जाए…
चलिए आपको बताते है कि इन अनुच्छेद में किन किन अधिकारों का ज़िक्र है…
• अनुच्छेद 14, विधि के समक्ष समानता
• अनुच्छेद 15 – धर्म जाति लिंग पर भेद का प्रतिशेध अनुच्छेद
• अनुच्छेद 21 – प्राण और दैहिक स्वतंत्रता अनुच्छेद (स्वतंत्रता)
• अनुच्छेद 25 – धर्म का आचरण और प्रचार की स्वतंत्रता
• अनुच्छेद 29 – अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण
बहरहाल हमारे देश में सभी को एक सामान अधिकार प्राप्त है…. और जिन्हें लगता है कि उनके अधिकारों का हनन हो रहा है तो वो अपनी आवाज़ उठाते है… या फिर उनके हक के खातिर लड़ने के लिए काफी लोग है … भला हमे अभिव्यक्ति की आज़ादी के साथ साथ कई और आज़ादी है … वैसे आप सबरीमाला टेम्पल वाला किस्सा तो नहीं भूले होंगे …. कैसे मीडिया से लेकर हर जगह इसकी चर्चा थी और लोगों ने सबरीमाला मंदिर की रीती की आलोचना की थी… कोर्ट ने भी ट्रेडिशन बदलने के हित में अपना आदेश सुनाया था … लेकिन आज जब बात औरतों के मौलिक अधिकार की हो रही है .. इस्लाम के पवित्र स्थल में प्रवेश के हक की मांग हो रही तो लोग ज्यादा नहीं बोल रहे…. अरे भाई अब आपलोग क्यों चुप है … आवाज़ उठाईये और अपने लिए लड़ के दिखाइए और इन महिलाओं को भी इन्साफ दिलाइये …