हाल ही में मोदी सरकार ने एक फैसला लिया है जिसके बाद भारत में ई कामर्स यानि ऑनलाइन शोपिंग की सुविधा देने वाली कम्पनियों में तहलका मचा हुआ है…29 जनवरी ….को मोदी सरकार ने फैसला लिया कि एक फ़रवरी से ई कॉमर्स कम्पनियों के लिए सरकार एफडीआई के नए नियम लागू करने जा रही है. कम्पनियों को सरकार की तरफ से तीन दिन का समय दिया गया ताकि वो नए नियमों के अनुसार अपने सिस्टम को अपडेट कर लें. वहीँ ई कामर्स कंपनियों ने इस काम के लिए 6 महीने का वक्त माँगा था लेकिन सरकार अपने फैसले से टस से मस ना होने के मूड में थी.
ई कामर्स कम्पनियों पर ये फैसला सर्जिकल स्ट्राइक की तरह था. मीडिया में दर्शाया जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से आम उपभोक्ताओं को नुकसान होने जा रहा है. क्या है इसके पीछे का सच आइए जानते है.
दरअसल फ्लिप्कार्ट अमेजन जैसी इ कामर्स कम्पनियां… प्रोडक्ट्स बनाने बेचने और खरीदने वालों के बीच का एक माध्यम होते हैं… डीलर अपने प्रोडक्ट्स को इन ऑनलाइन वेबसाइट के जरिये लोगों तक पहुंचाती हैं. लोग आर्डर देते हैं फिर सेलर के यहाँ से यह आर्डर डिलीवरी कम्पनियों द्वारा आप तक पहुंचता है…अब समय समय पर ये ऑनलाइन कम्पनियां डेटा निकालती हैं कि कौन से डीलर के कौन से प्रोडक्ट्स की डिमांड अधिक है. इसके बाद अमेजन और फ्लिप्कार्ट जैसी कम्पनियां अपने सहयोगी कम्पनियों द्वारा उस प्रोडक्ट्स की कॉपी प्रोडक्ट्स तैयार करवाते हैं. और कम दाम वाली सेल और जल्द डिलीवरी के नाम पर आपको लालच देती हैं.
आपने देखा ही होगा कि अमेजोन प्राइम और फ्लिप्कार्ट assured नाम से ये कम्पनियां सस्ते दामों और तेजी से डिलीवरी कराने का वादा करती हैं. क्या कभी आपने सोचा है कि तेजी से डिलीवरी कैसे हो जाती है?

ई कामर्स के अधिकतर डीलर किसी छोटे शहर से आते हैं, जैसे मेरठ, बरेली या हो सकता है कि कोई साउथ इंडिया या नार्थ ईस्ट का कोई छोटा सा शहर हो…इन शहरों से डिलीवरी कराने में तो काफी वक्त लगता है. फिर कैसे यही प्रोडक्ट्स assured और प्राइम के जरिये आप तक जल्दी डिलीवर हो जाते है?
खेल सारा वही है जो हम आपको बता चुके हैं. इ कामर्स कम्पनियां अपने सहयोगी कम्पनियों के साथ मिलाकर डुप्लीकेट सामान की बिक्री सस्ते और जल्द डिलीवरी के नाम पर करवाते हैं…धीरे धीरे लोगों के पास वो प्रोडक्ट्स पहुँचने बंद हो जाते हैं जो मुख्य डीलर बेचते थे . इसकी जगह धीरे धीरे ऑनलाइन शोपिंग कम्पनियों के द्वारा बनाये गये डुप्लीकेट सामान आप तक पहुँचने लगते है.
अब जो मुख्य डीलर था उसका प्रोडक्ट्स मार्केट से धीरे धीर गायब हो जाता है. उसे यह तक पता नही चल पाता था कि आखिर उन्हें नुकसान किस वजह से हुआ…
क्या आप कभी ये समझ पाए कि इतना बड़ा खेल ई कामर्स मार्किट में चल रहा था और किसी को भनक तक नही पहुँच सकी?
अब आपको बताते हैं कि अब हो क्या रहा है?
सरकार के नए नियम के मुताबिक़ अब ई कामर्स कम्पनियां अपने उन प्रोडक्ट्स को अपनी वेबसाइट पर नही बेच सकेंगी जिनमें उनकी हिस्सेदारी होती है ..साथ ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर अब किसी प्रॉडक्ट विशेष की एक्सक्लूसिव सेल भी नहीं चल पाएगी..
नये नियम के लागू होने से अब आपको डिलीवरी मिलने में पहले की अपेक्षा अधिक समय भी लगेगा.
भारत के ई-कॉमर्स मार्केट में अमेजन की 31% हिस्सेदारी है. वॉलमार्ट ने भी पिछले साल मई में फ्लिपकार्ट की 77% हिस्सेदारी 1.07 लाख करोड़ रुपए में खरीदी थी। यह ई-कॉमर्स सेक्टर में दुनिया की अब तक की सबसे बड़ी डील थी.
सरकार के इस फैसले से इन कम्पनियों की तगड़ा नुकसान भी हो रहा है अमेजन का शेयर शुक्रवार को 5.38% लुढ़क गया। इस गिरावट की वजह से कंपनी का मार्केट कैप 3.21 लाख करोड़ रुपए घटकर 56.45 लाख करोड़ रुपए रह गया और वॉलमार्ट के शेयर में भी 2.06% गिरावट आ गई। इस वजह से उसका वैल्यूएशन 40,470 करोड़ रुपए घटकर 19.36 लाख करोड़ रुपए रह गया.
सरकार का यह कदम आपके साथ साथ देश के छोटे छोटे कारोबारियों के लिए भी अच्छा है. अब आप सोचिये कि आपके प्रोडक्ट की डिलीवरी दो दिन लेट होने और दो पैसे महंगे होने से देश के छोटे छोटे कारोबारी इन ई कामर्स कम्पनियों की जाल में फंसकर बर्बाद होने से बच सकेंगे!
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