दुनिया के किसी भी देश में जब सीमा पर दुश्मन देश के साथ तनाव की स्थिति होती है तो उस देश का हर नागरिक अपने देश और देश की सरकार के साथ खड़ा होता है. लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. भारत में राजनीति पहले है. लद्दाख में चीन के साथ तनाव के माहौल में झारखण्ड की झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस की गठबंधन सरकार ने एक ऐसा फैसला किया है जिससे किसी को भी आश्चर्य हो सकता है और साथ ही साथ शर्मिंदगी भी हो सकती है.
लद्दाख में चीन के साथ तनाव के मद्देनज़र LAC के आसपास भारत सड़क निर्माण कर रहा है और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित कर रहा है ताकि आपात स्थिति में सेना और सैनिक साजोसामान का मूवमेंट तेजी से हो सके. इसके लिए भारी संख्या में मजदूरों की आवश्यकता है. लेकिन झारखण्ड की झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस की गठबंधन सरकार ने तनाव की स्थिति को देखते हुए अपने राज्य से मजदूर भेजने से साफ़ मना कर दिया है.
#Breaking | JMM halts India’s reply to China, won’t send laborers for service.
Cong-JMM backs out of patriotic duty?Details by Prashant & Vivek Narayan. | #CongSoftOnChina pic.twitter.com/goVW3UCcdk
— TIMES NOW (@TimesNow) June 5, 2020
झारखंड के श्रममंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा है कि जब बॉर्डर पर हालात ठीक नहीं होते हैं तब तक वे किसी मजदूर को सीमावर्ती इलाके में काम करने के लिए नहीं भेज सकते हैं. उन्होंने कहा कि सीमा पर तनाव ख़त्म होने तक वो अपने राज्य से एक भी मजदूर को लद्दाख नहीं भेजेंगे. उन्होंने कहा कि सभी मजदूरों को झारखण्ड में ही रोजगार मुहैया कराया जाएगा.
बॉर्डर इलाकों में बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) रोड निर्माण कर रही है. सीमाई इलाकों में निर्माण कार्य के लिए स्किल्ड मजदूरों की जरूरत होती है. झारखण्ड के दुमका जिले के मजदूर बहुत ही अधिक संख्या में लेह लद्दाख में सड़क निर्माण कार्य से जुड़े हुए हैं. जब लॉकडाउन लगा तो झारखण्ड सरकार ने फ्लाइट से सभी मजदूरों को लेह लद्दाख से वापस बुलवा लिया. लेकिन अब वापस भेजने से मना कर दिया है. झारखण्ड सरकार के इस फैसले पर अब सवाल उठने लगे हैं. सवाल उठा रहे हैं कि जब देश को जरूरत है, सीमा पर तनाव की स्थिति है तब झारखण्ड सरकार ऐसा फैसला कैसे कर सकती है.