भारतीय सेना के शौर्य और साहस की तो पूरी दुनिया लोहा मानती है. बंदूख की गोली हो, बम की आवाज हो, आतंकियों से सामना करना हो या फिर मुसीबत से किसी को निकालना…हर जगह भारतीय सेना के जवान तैनात रहते हैं हमारी रक्षा के लिए…आपकी रक्षा के लिए!
लेकिन अब भारतीय सेना को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है जो चिंता का विषय बन गयी है. दरअसल भारतीय सेना ना गोलियों की बौछार से और ना ही दुश्मनों की ललकार परेशान हैं, तो आखिर जवान परेशान किस वजह है. आइये हम आपको बताते है.

दरअसल रक्षा मंत्रालय की ओर से राज्यसभा में एक रिपोर्ट सामने है जो चौंकाने वाली है. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सेना के जवान दुश्मन की गोली नहीं ज़मीनी और कानूनी विवादों समेत सात कारण ऐसे है जिनसे ज्यादा परेशान हैं. कुछ ऐसी ही परेशानियां जवानों को तनावग्रस्त बना रही हैं. लेकिन जवानों की इस परेशानी को दूर करने के लिए सेना ने कई कदम उठाए हैं. सेना ने इसके लिए क्या कदम उठाये है ये जानने से पहले ये जान लेना जरूरी है कि आखिर जवान परेशान किस वजह हैं.
हुसैन दलवई ने एक सवाल उठाते हुए पूछा था, “क्या थल सेना और वायु सेना द्वारा काउंसलिंग के लिए मानसिक सहायता हेल्पलाइन की स्थापना की गई है. और किस तरह की समस्याएं जवानों में देखी जा रही हैं.”
इस सवाल का जवाब देते हुए रक्षा मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि मानसिक सहायता हेल्पलाइन की स्थापना की गई है. जो भी जवान काउंसलिंग कराना चाहता है तो उसकी सहायता की जाती है. इसी सवाल का जवाब देते रक्षा मंत्रलाय की तरफ से ये भी बताया गया कि काउंसलिंग में सबसे ज्यादा किस बात से परेशान जवान पहुँच रहे हैं.
वो समस्याएं कुछ इस तरह से हैं, ज़मीनी विवाद, कानूनी मामले, नींद पूरी न होना, यौन समस्याएं, वैवाहिक विवाद, छुट्टी की परेशानी, पर्सनल समस्या, कार्य स्थल पर तथाकथित उत्पीड़न आदि उजागर हुई हैं. ये समझने वाली बात है कि ये वो समस्याएं जिनकी वजह से हमारे देश के अधिकतर जवान परेशान है या ग्रसित हैं.
एक आंकड़े के अनुसार जवानों में इस तरह की परेशानी सामने आते ही सेना ने साल 2017-18 में 88 और 2018-19 में 153 मनोवैज्ञानिक काउंसलर की सेवा लेना शुरु कर दिया. वहीँ यूनिटों में भी साल 2017-18 में 90 और 2018-19 में 132 मनोवैज्ञानिक काउंसलर की तैनाती कर दी. दूसरी ओर अपने ही 126 वायु सैनिकों को 3 महीने का प्रशिक्षण देकर उन्हें अलग-अलग जगह तैनाती दी गई है.
दरअसल, बढ़ते तनाव की वजह से कई जवान तो शराब के आदी तक हो जाते हैं और कई बार तनाव इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि जवानों को आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ जाता है. इसलिए सेना की ओर से जवानों और अफसरों को तनाव मुक्त बनाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. इसके लिए सैन्य जवानों, अफसरों और जरूरत पड़ने पर उनके परिजनों को भी विशेष काउंसलिंग में शामिल किया जाएगा। ये काउंसलिंग पूरी तरह से मेंटल हेल्थ स्ट्रेस मैनेजमेंट और साइकोसोमैटिक इलनैस पर केंद्रित रहेगी।

काउंसलिंग में इन बिंदुओं पर किया जाता है फोकस?
– सैन्य जवानों के तनावग्रस्त होने की मुख्य वजह क्या है, उसकी जड़ तक पहुंचना
– तनाव की वजह पारिवारिक है, तो काउंसलिंग में उनके परिजनों को भी शामिल करना
– इच्छाओं और वास्तविकता का अंतर ही तनाव है, जवानों को ये समझाते हुए अंतर खत्म करना
– जवानों को जीवन का विश्लेषण करने का गुर सिखाते हुए उनकी दिनचर्या को दोबारा री-सैट करना।
– दिलोदिमाग में उठ रहे हर अच्छे-बुरे मनोभावों को किसी से भी शेयर करवाना
वाकई में सेना के जवानों का तनाव में आना कतई ठीक नही है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि जवानों के लिए उचित व्यवस्था करें, उनकी परेशानी समझी जाए और उनके मनोस्थिति ठीक की जाए. हालाँकि रक्षा मंत्रलय की तरफ से साफ़ कर दिया गया है कि इसके लिए सरकार काम कर रही है.