आम तौर पर कांग्रेस पीएम मोदी को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ती. उसके नेता पीएम मोदी के लिए कई बार अपमानजनक शब्दों का भी प्रयोग करते हैं. लेकिन इस बार उसके एक कदम ने सबको हैरत में डाल दिया. हालांकि इसके पीछे भी उसका राजनीतिक स्वार्थ ही छुपा था लेकिन पहली बार उसने पीएम मोदी के लिए आवाज उठाई. मामला है सिख गुरु तेगबहादुर के प्रकाश पर्व का.
सिख गुरु तेगबहादुर के प्रकाश पर्व को लेकर भी राजनीति होने लगी है. सिखों की सर्वोच्च संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सिख गुरु तेगबहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर ना बुलाने का फैसला किया है. SGPC ने किसान आंदोलन के समर्थन में ये कदम उठाया. लेकिन आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेस ने SGPC के इस कदम का विरोध किया है. पंजाब सरकार ने SGPC के इस फैसले को अकाली दल के दबाव में लिया गया फैसला बताया है. पंजाब के कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि गुरु तेगबहादुर जी भी पूरे देश के हैं ऐसे में प्रधानमंत्री को इस कार्यक्रम में ना बुलाने का फैसला सही नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि SGPC पर बादल परिवार का कब्जा है और उसी के दवाब में इस तरह का फैसला लिया गया है.
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— TV9 Bharatvarsh (@TV9Bharatvarsh) January 6, 2021
दूसरी तरफ पंजाब में सत्ता में आने की कोशिश में लगी आम आदमी पार्टी और अकाली दल ने SGPC के इस फैसले को सही बताया है और हालातों के अनुसार बताया है. अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने कांग्रेस के आरोपों पर भड़कते हुए कहा कि गुरुद्वारा कमेटी एक संवैधानिक धार्मिक संस्था है, जिसके बकायदा चुनाव होते हैं. ऐसे में वो किसे बुलाना चाहती है, ये उसका निजी फैसला होता है और हालातों को देख कर फैसला लिया जाता है. इस बार भी तमाम हालात को देखते हुए ही ये फैसला लिया होगा और इसमें किसी तरह की राजनीति नहीं है.
आम आदमी पार्टी ने भी SGPC के फैसले को सही करार दिया. AAP का कहना है कि केंद्र सरकार की तरफ से जिस तरह का किसान विरोधी कानून लाया गया है, उसका सीधा असर पंजाब के किसानों पर पड़ा है. ऐसे में किसानों के समर्थन में अगर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने प्रधानमंत्री को अपने कार्यक्रम में नहीं बुलाने का फैसला किया है तो ये बिल्कुल सही है.