INX मीडिया इतनी मनहूश कंपनी बन गयी है कि जिस जिस का नाम इस कम्पनी के नाम से जुड़ा, उसके जीवन में शान्ति नही बची. इस मामले में कम्पनी की मालिक पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी जेल में है. इसके ताजा उदाहरण पूर्व वित्त पी चिदंबरम है. कभी भी गिरफ्तार हो सकते हैं.चिदंबरम हाई कोर्ट से कई बार अग्रिम जमानत के जरिये बचते आ रहे थे लेकिन इस बार कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया, ये कहते हुए कि चिदंबरम के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं.. इसके बाद चिदंबरम के समर्थक वकील, कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे बड़े वकील सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लेकर भागे लेकिन लेट हो गये.अदालत की छुट्टी हो चुकी थी. इसके बाद सीबीआई और ईडी की टीम चिदम्बरम की तलाश कर रही है लेकिन चिदंबरम फरार चल रहे हैं, फोन की सेवायें जम्मू कश्मीर में बंद हैं लेकिन फोन करने पर चिदंबरम का फ़ोन बंद आ रहा है. देखना है इस भागम-भाग में कौन आगे निकलता है.

खैर आइये हम आपको बताते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है!
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर आरोप है कि INX को फायदा पहुंचाने के लिए विदेशी निवेश को स्वीकृति देने वाले विभाग फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) ने कई तरह की गड़बड़ियां की थीं. जब कंपनी को निवेश की स्वीकृति दी गई थी उस समय पी. चिदंबरम वित्त मंत्री हुआ करते थे. सीबीआई का आरोप है कि पी चिदंबरम ने अपने पावर का उपयोग कर INX मीडिया को एफआईपीबी यानि फॉरन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड से क्लीयरेंस दिलवाया था. सीबीआई के साथ ही इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का भी केस दर्ज किया गया था, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है. कंपनी ने कथित तौर पर डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट किया था और INX मीडिया में 305 करोड़ रुपये से अधिक का फॉरन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट हासिल किया था, जबकि कंपनी को 4.62 करोड़ रुपये के इन्वेस्टमेंट के लिए ही मंजूरी मिली थी.. दरअसल, FIPB नियमों के अनुसार, वित्त मंत्री को 600 करोड़ रुपये तक के विदेश निवेश को मंजूरी देने का अधिकार था। इससे अधिक के विदेशी निवेश पर कैबिनेट की मंजूरी जरूरी होती। यानी इस मामले में बाकी का पैसा चोर दरवाजे से आया। वहीँ एयरसेल-मैक्सिस मामले की जांच के दौरान पता चला कि केवल 180 करोड़ का निवेश दिखाकर 3,500 करोड़ रुपये का निवेश इसलिए कर दिया गया ताकि मामला निवेश से संबंधित कैबिनेट कमिटी के पास नहीं जाये और इसका अप्रूवल पी चिदम्बरम से ही मिल जाए.
दरअसल ये पूरा मामला तब पलटी मार गया जब इंद्राणी मुखर्जी जो inx मीडिया की प्रमुख थी, वो सरकारी गवाह बन गयीं.. इंद्राणी ने जांच एजेंसी को दिए बयान में कहा कि INX मीडिया की अर्जी फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) के पास थी। इस दौरान उनके पति पीटर मुखर्जी और कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ पूर्व वित्त मंत्री के दफ्तर नॉर्थ ब्लॉक में जाकर मुलाकात की थी। ईडी को दिए अपने बयान में उन्होंने कहा, ‘पीटर ने चिदंबरम के साथ बातचीत शुरू की और INX मीडिया की अर्जी एफडीआई के लिए है और पीटर ने अर्जी की प्रति भी उन्हें सौंपी। FIPB की मंजूरी के बदले चिदंबरम ने पीटर से कहा कि उनके बेटे कार्ति के बिजनस में मदद करनी होगी।’ मतलब चिदम्बरम ने अपने बेटे के लिए घूस मांगी थी.

बेटे कार्ति की पहले भी हो चुकी है गिरफ्तारी!
कार्ति चिदंबरम पहले भी गिरफ्तार हो चुके हैं,फिलहाल वे आजाद हैं, कार्ति चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया को 2007 में FIPB से मंजूरी दिलाने के लिए कथित रूप से रिश्वत लेने के आरोप में 28 फरवरी 2018 को गिरफ्तार किया गया था. कार्ति के खिलाफ आरोप हैं कि उन्होंने आईएनएक्स मीडिया के खिलाफ संभावित जांच को रुकवाने मतलब जांच हो ही ना इसके लिए 10 लाख डॉलर की मांग की थी. अब जब पूछताछ के लिए पी चिदंबरम को सीबीआई और ईडी खोज रही है तो चिदंबरम साहब भागे भागे फिर रहे हैं.
वहीँ पूरी कांग्रेस चिदम्बरम के बचाव में उतर आई है. प्रियंका गांधी वाड्रा ने लिखा कि हम चिदम्बरम के साथ खड़े हैं और सच्चाई के लिए लड़ते रहेंगे चाहे कोई भी परिणाम हो।
लड़ना जरूरी है लेकिन भागना कितना सही है ये सवाल तो उठता ही है. प्रियंका गाँधी अगर कहती कि चिदम्बरम साहब को जांच में सहयोग करना चाहिये तो शायद अच्छा सन्देश जाता, ऐसे में जब कोर्ट ने खुद माना है कि प्रयाप्त सबूत हैं तो क्या मिसेज वाड्रा कोर्ट पर सवाल खड़ा कर रही हैं?