देश की सबसे पुरानी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जो एक जमाने मे लोकतांत्रिक संगठन के रूप में जानी जाती थी लेकिन क्या वजह रही कि अब बस एक परिवार की पार्टी बन कर रह गयी है. एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह बन कर रह गयी है. हमने पड़ताल की तो हमने पाया . ये सिलसिला आज़ादी के बाद से ही शुरू हुआ. जब नेहरू के सामने सरदार पटेल को झुकना पड़ा. नेहरू नें गांधी जी से साफ कर दिया था कि वे पटेल के अंडर में काम नही कर सकते. वो शायद पहली कड़ी थी एक परिवार के एक पार्टी पर कब्जे की. नेहरू युग के बाद दूसरी कड़ी में लाल बहादुर शास्त्री छोटे लेवल से जरूर उठ कर आये लेकिन दुर्भाग्य वश ज्यादा चल नही पाए. इंदिरा युग मे मोरारजी देसाई का वही हाल हुआ जो नेहरू युग मे पटेल का हुआ था. इंदिरा के बाद राजीव आये उनके टाइम पे नारायण दत्त तिवारी, वीर बहादुर सिंह, प्रणव मुख़र्जी माधवराव सिंधिया राजेश पायलट और पीए संगमा जैसे कितने नेता ऐसे रहे जिन्हें कभी ढंग पनपने नही दिया गया. गांधी परिवार पे हमेशा ये आरोप लगता रहा कि इनमें हमेशा से इंस्क्यूरिटी का भाव रहा है. जब जब कोई नेता कांग्रेस में पॉपुलर हुआ जब जब उसकी नेशनल लेवल पर चर्चा हुई या तो उसके पर कतर दिए गए या दुर्भाग्यवश उसकी मृत्यु हो गयी और कांग्रेस पार्टी से गांधी परिवार की पकड़ कभी कमजोर नही हुई. राजीव युग के बाद कुछ वक्त पीवी नरसिंह राव या सीताराम केसरी पार्टी के अध्यक्ष जरूर बने लेकिन 1998 के बाद जब सोनिया गांधी की पार्टी में एंट्री हुई तब उनका भी वही हश्र हुआ जो गांधी परिवार के सामने चुनौती पेश करने वाले नेताओ की अमूमन होती रहती थी. उनके पर कतर दिए गए. आज कांग्रेस पार्टी अपने इतिहास को दोहरा रही है आज भी राहुल गांधी के सामने ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट जैसे नेता चुनौती पेश कर रहे है लेकिन आज भी वही परम्परा निभाई जा रही और उन्हें फ्री हैंड नही किया जा रहा . उन्हें डर सता रहा है कही राहुल गांधी की सत्ता को चुनौती न मिले . सूत्रों की माने तो यही वजह रही कि mp राजस्थान में इन नए चेहरों की जगह पुराने वफादारों पे भरोसा दिखाया गया. कमलनाथ और गहलोत को मुख्यमंत्री का ताज मिला और दोनो युवा नेताओं को सहयोगी की भूमिका में ही रहना पड़ा. आप कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र और चुनाव अभियान को गौर से देखें तो आपको मिलेगा जितने भी उपलब्धियों की बातें कांग्रेस करती उन सबका श्रेय नेहरू इंदिरा या राजीव जी को देती है लेकिन कभी भूल के कांग्रेस से पीएम रहे लाल बहादुर शास्त्री pv नरसिंह राव और मनमोहन सिंह का जिक्र नही आता है. कांग्रेस के कुल 6 पीएम में से 3 एक ही परिवार के रहे है. इन्ही सब वजहों से शायद सबसे बड़ी और सबसे पुरानी पार्टी आज एक परिवार की पार्टी बन के रह गयी है . जिनके पास नेता तो है लेकिन नेतृत्व नही.
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